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जगदीश ने इस तरह कैंसर से जीती जंग, अब पर्यावरण को बढ़ावा देने के लिए कर रहे काम

locationचुरूPublished: Feb 03, 2019 11:37:12 pm

Submitted by:

abdul bari

शर्मा अपने निजी खर्चे पेड़ों में कीटनाशक दवा व पानी के टैंकर मंगवाकर सिंचाई करते हैं।

Jagdish wins from cancer in churu

जगदीश ने इस तरह कैंसर से जीती जंग, अब पर्यावरण को बढ़ावा देने के लिए कर रहे काम

चूरू.
जानलेवा बीमारी कैंसर होने की जानकारी होते ही व्यक्ति पूरी तरह से टूट जाता है। चूंकि उसे इस बात का आभास हो जाता है कि उसकी जिन्दगी अब अधिक दिन नहीं चलेगी। लेकिन व्यक्ति में मजबूत और दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो कैंसर जैसी बीमारी को भी मात दी जा सकती है। लेकिन समय से उपचार करना जरूरी होता है। बुलंद इरादों से ही राजगढ़ तहसील के गांव सांखू फोर्ट निवसी 70 वर्षीय जगदीश प्रसाद शर्मा ने कैंसर से जंग जीत ली है। अब वे पूरी तरह से स्वस्थ्य हैं। यहां तक कि करीब तीन साल से उनकी दवा भी बंद है। अब उन्हें कोई तकलीफ नहीं है। इस बीमारी से लड़ते हुए उन्होंने गांव की श्मशान भूमि में पर्यावरण को बढ़ावा देने के लिए पौधे लगाकर उनकी देख-रेख भी करते हैं।
जगदीश प्रसाद ने बताया कि वे दिल्ली में एक प्लास्टिक फैक्ट्री में अकाउंटेंट कम मैनेजर के पद पर कार्यरत थे। 12 साल पहले जांच में उन्हे मुंह का कैंसर बताया गया। इसके बाद उन्होंने करीब एक साल तक दवा की और कीमो लगवाए। लेकिन सही नहीं हो रहा था। इस पर उन्होंने रोहतक पीजीआई में ऑपरेशन करवा लिया। 2005-06 में उनका ऑपरेशन हो गया। इसके कुछ दिन बाद वे देशी दवा का उपयोग करने लगे। उन्होंने बताया कि हीरे से बनी हीरक भस्म नामक दवा का सेवन करने लगे। इस दवा को उन्होंने वर्ष 2014-15 तक लेते रहे। दो रत्ती दवा करीब 40 हजार रुपए की पड़ती थी। 2015 के बाद से यह दवा बंद कर दी। अब वे पूरी तरह से स्वस्थ्य हैं। अब वे गांव में घर पर ही एक छोटी सी दुकान चलाते हैं। परिवार में वे और उनकी पत्नी है। उस दुकान से ही अपना जीवन-यापन करते हैं।
पर्यावरण को बढ़ावा देने के लिए कर रहे काम
बीमारी से लड़ाई के साथ जगदीश ने पेड़-पौधों की सेवा करना अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लिया। शर्मा ने गांव की श्मशान भूमि परसानिया में कुछ साल पहले दो सौ पौधे लगाए जिसमें सौ पौधे आज तैयार हो चुके हैं। 50 काफी बड़े हो गए हैं और 50 अभी कुछ छोटे हैं। शर्मा नियमित रूप से सुबह दो घंटे श्मशान भूमि में जाकर पौधों की देखरेख करते हैं। इतना ही नहीं शर्मा अपने निजी खर्चे पेड़ों में कीटनाशक दवा व पानी के टैंकर मंगवाकर सिंचाई करते हैं।

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