संस्कृत सीखने के लिए रतननगर मंगलदत्त महर्षि के पास आते थे। बताया जाता है कि गलती करने पर महर्षि मेजर को काफी डांट-फटकार भी लगाते थे। मेजर फोस्टर तत्कालीन बिसाऊ ठाकुर से किसी बात पर नाराज हो गए थे। इस पर ठाकुर ने मेजर से वार्ता करने के लिए नंदराम केडिया को भेजा था, मेजर केडिया की सादगी से काफी प्रभावित हुए थे। इस पर उन्होंने केडिया को प्रशंसा पत्र भी सौंपा। जो आज भी उनके वशंजों के पास होना बताया जाता है। इतिहासविद् बताते हैं कि कुछ वर्षों बाद बिसाऊ ठाकुर व केडिया के बीच किसी बात को लेकर विवाद हो गया। बाद में केडिया ने 13 जून 1861 को रतननगर की स्थापना की थी।
मेजर हैनरी ने बनाई थी शेखावटी बिग्रेड
इतिहासविद् प्रो. केसी सोनी की माने तो उन दिनों बीकानेर बॉर्डर पर रोजाना चोरी, लूट व बलात्कार की घटनाएं बढ़ी थीं। इन घटनाओं को रोकने के लिए अंग्रेजी शासनकाल के मेजर हैनरी फोस्टर ने शेखावाटी बिग्रेड की स्थापना 1835 में की थी। इस बिग्रेड का खर्चा जयपुर व बीकानेर रियासत के राजपरिवार मिलकर उठाया करते थे। प्रो. सोनी ने बताया कि मेजर फोस्टर एंग्लो इंडियन थे। मां वर्तमान हरियाणा राज्य की थीं, वहीं पिता अंग्रेज थे। कार्यशैली के चलते उनकी गिनती दबंग अधिकारियों के रूप में हुआ करती थी।
कंपनी का मुख्यालय झुंझुनूं हुआ करता था, जिसे अंग्रेज बाजार के नाम से जाना जाता था। बताया जाता है कि एंग्लो इंडियन होने के कारण भारत से उनका लगाव था। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने मंदिर व मस्जिदों का भी निर्माण
कराया था। उन्होंने बताया कि उनकी बेटी की मौत के बाद झुंझुनूं में स्थित आस्था के केन्द्र कमरूद्दीन शाह दरगाह में मरम्मत कार्य कराने सहित भित्ति चित्र भी बनवाए थे। इतिहासविद् बताते है कि झुंझुनूं में आज भी फोस्टर चौक है, जहां पर एक मंदिर व छोटी मस्जिद है।