scriptAcharya Mahashraman- जीवन में ना कुछ तेरा, ना कुछ मेरा के भाव की ओर आसक्त होना चाहिए | Nothing in life should be attached to the feeling of neither yours nor | Patrika News

Acharya Mahashraman- जीवन में ना कुछ तेरा, ना कुछ मेरा के भाव की ओर आसक्त होना चाहिए

locationचुरूPublished: Jul 02, 2022 01:39:20 pm

Submitted by:

Vijay

चूरू (राजलदेसर). राजस्थान की रेतीली धरती चरम स्तर से दहक रही थी। सूर्य की तीव्र किरणों से रेत गर्म होकर तापमान को निरंतर बढ़ा रही थी। इसके बावजूद भी मानव-मानव के कल्याण के संकल्प के साथ गतिमान जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, अखण्ड परिव्राजक युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण निरंतर गतिमान रहकर राजलदेसर पहुंचे तो इंद्रदेव भी स्वयं उनके स्वागत में बरस पड़े।

जीवन में ना कुछ तेरा, ना कुछ मेरा के भाव की ओर आसक्त होना चाहिए

जीवन में ना कुछ तेरा, ना कुछ मेरा के भाव की ओर आसक्त होना चाहिए

मोह, ममता न रखूं ऐसा सिद्धांत साधना के लिए जरूरी : आचार्य महाश्रमण
चूरू (राजलदेसर). राजस्थान की रेतीली धरती चरम स्तर से दहक रही थी। सूर्य की तीव्र किरणों से रेत गर्म होकर तापमान को निरंतर बढ़ा रही थी। इसके बावजूद भी मानव-मानव के कल्याण के संकल्प के साथ गतिमान जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, अखण्ड परिव्राजक युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण निरंतर गतिमान रहकर राजलदेसर पहुंचे तो इंद्रदेव भी स्वयं उनके स्वागत में बरस पड़े। रात्रि में झमाझम बारिश से मौसम खुशनुमा हो गया। आचार्य महाश्रमण ने धर्म सभा को संबोधित करते हूए कहा कि आत्मा चैतन्य मय है शरीर जड़ है। आत्मा और शरीर मिल कर ही जीवन है। मोह ममता न रखूं ऐसा सिद्धांत साधना के लिए जरूरी है। मोह से लालच बढ़ता है। मोह के जाल में उलझ कर व्यक्ति अपनी चीज के साथ ही दूसरों की चीज के प्रति आसक्ति बढ़ाकर अपनी मानने लगता है। जबकि जीवन में ना कुछ तेरा, ना कुछ मेरा के भाव की ओर आसक्त होना चाहिए । सुखी जीवन और आत्म कल्याण के लिए मोह ममत्व नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा यह शरीर, यह महल और यह जगत धर्मशाला है। इस अवसर पर साध्वी वर्या ने कहा कि जो मजबूत होता है वह सहन करना जानता है, सहिष्णु होता है । वही मुसीबतों का सामना कर सकता है । सहिष्णुता ही परिवार में एकता, आखण्डता, सामंजस्य, शांति का आधार है। सहिष्णु होने का मतलब कायरता नहीं बल्कि परमवीरता है। राजलदेसर में चातुर्मास कर रही साध्वी मंगलप्रभाजी ने अपने आराध्य का भावभरा स्वागत किया। तेरापंथ युवक परिषद्, महासभा उपाध्यक्ष नेमचंद बैद, अमृतवाणी के उपाध्यक्ष ललित दुगड़, भरत बेगवानी, तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्षा प्रेमदेवी विनायकिया, पन्नालाल बैद, भैरुदान भूरा, डा. चेतना बैद, गुलाब बांठिया, मंगला कुंडलिया, कुलदीप बैद, स्नेहा, सुषमा बैद ने पृथक-पृथक गीतिका, वक्तव्य आदि के माध्यम से अभिनन्दन किया। संचालन मुनि दिनेश कुमार ने किया। रात्रिकालीन कार्यक्रम में साध्वी प्रवास स्थल पर साध्वी प्रमुखाश्री का वर्धापन समारोह मनाया गया। आचार्य शनिवार प्रात: राजलदेसर से रतनगढ़ के लिए विहार करेंगे। आचार्य महाश्रमण के दो दिवसीय राजलदेसर प्रवास के दूसरे दिन शुक्रवार को अणुव्रत समिति द्वारा ÓÓजीवन विज्ञान शिक्षा सम्मेलनÓÓ का आयोजन किया गया। जिसमें राजलदेसर एवं आसपास के क्षेत्रों के विद्यालयों के शिक्षक उपस्थित रहे। इस अवसर पर आचार्य महाश्रमण ने कहा कि शिक्षा हमारे जीवन के लिए महत्वपूर्ण है। बच्चों को अध्यात्म विद्या दी जानी चाहिए। शिक्षक बच्चों का निर्माता होता है। शिक्षक का जीवन आदर्श जीवन होना चाहिए। कथनी और करनी में समानता होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा में अङ्क्षहसा, अभय, नैतिकता, विनम्रता आदि उनकी शिक्षा में जुड़ जाना चाहिए। बच्चों का केवल बौद्धिक विकास ही नहीं भावात्मक विकास भी होना चाहिए और जीवन विज्ञान सर्वांगीण शिक्षा देने का विषय है। जीवन विज्ञान जीने की कला सिखाता है। विधायक अभिनेष महर्षि मौजूद रहे। प्रभारी मुनि मनन कुमार ने कहा भावों को संचालित करने वाला होता है श्वास। व्यक्ति नकारात्मक प्रवृति करता है तो श्वास की गति बढ़ जाती है और सकारात्मक प्रवृति करने पर श्वास की गति सहज चलती है। सहज श्वास हमारे तनाव को कम करता है। इस अवसर पर मुनि ने जीवन विज्ञान के प्रयोगों के माध्यम से तनाव मुक्त शिक्षा का सहज मार्ग बताया। अणुव्रत समिति के अध्यक्ष शंकरलाल सोनी ने स्वागत भाषण प्रस्तुत करते हुए अणुव्रत समिति द्वारा की जा रही गतिविधियों का ब्योरा प्रस्तुत किया। आभार ज्ञापन समिति के मंत्री भुवनेश्वर शर्मा ने किया। संचालन विरेंद्र लाटा ने किया।
३ हजार छात्र-छात्राएं करेगें आचार्य का स्वागत
छापर. आचार्य महाश्रमण हर दिन नई यात्रा व नए पड़ाव में सैकडों साधु-साध्वियों के साथ जन जन को अङ्क्षहसा नेतिकता,नशामुक्ति का हर रोज पाठ पढ़ाते हुए छापर चातुर्मास की और अग्रसर है। छापर के श्रावक समाज में भी आचार्य के आगमन की निकटता हर दिन उर्जा का संचार कर रही है। इसी क्रम में शुक्रवार को भिक्षु साधना केंद्र व्यवस्थापक तपो मुनि पृथ्वीराज स्वामी के सानिध्य में कस्बे के अणुव्रत ऊच्च माध्यमिक विद्यालय में अणुव्रत समिति अध्यक्ष प्रदीप सुराना के नेतृत्व में छापर द्वारा आचार्य महाश्रमण के आगमन को लेकर जनसंपर्क कार्यक्रम आयोजित किया। अणुव्रत समिति अध्यक्ष प्रदीप सुराणा ने कहा की छापर की धरा पर 74 साल बाद आचार्यप्रवर का चातुर्मास होने जा रहा है। उन्होंने आचार्य के छापर में मंगल प्रवेश मंगल प्रवेश पर सभी छात्र-छात्राओं के उपस्थित होने का आह्वान किया। जलूस संयोजक विनोद चौरडिय़ा ने कहा कि छात्र-छात्राएं जुलूस में शामिल हों। विद्यालय के विद्यार्थी अनिल ङ्क्षसह व राजश्री सोनी को 51 सौ रुपए का पुरस्कार दिया गया। मुनि पृथ्वीराज स्वामी ने मंगलपाठ का वाचन किया। इस अवसर पर अणुव्रत समिति के निवर्तमान अध्यक्ष रेखाराम गोदारा, राष्ट्रपति पुरस्कार सन्मानित शिक्षक चेनरूप दायमा समिति के संयोजक चमन दुधोडिया, मंत्री विनोद नाहटा सहित कई लोग उपस्थित थे।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो