CHURU- NEWS- पराली फिर बन गई जान की दुश्मन, आसमान में गर्द और धुएं का गुबार
चुरूPublished: Nov 08, 2022 12:58:34 pm
चूरू.साहवा. कस्बे सहित गांवों में इन दिनों दिनरात आसमान में गर्द व धुंए का गुबार ही नजर आने लगा है। मुख्य कारण बनी है परानी। कस्बे के शहीद भगत सिंह चौक, नोहर भादरा सड़क तिरोहे के पास नोहर व भादरा सड़क किनारे लगी दो दर्जन के करीब पराली की टालें व तारानगर सड़क किनारे चल रही दर्जन भर पीओपी की फैक्ट्री जो यहां की फिंजा में प्रदूषण का जहर घोल रही है।


CHURU- NEWS- पराली फिर बन गई जान की दुश्मन, आसमान में गर्द और धुएं का गुबार
जिम्मेदारों की अनदेखी: पीओपी की फैक्ट्रियां फिंजा में घोल रही प्रदूषण का जहर, सांस लेना दूभर
रामकुमार सिहाग
चूरू.साहवा. कस्बे सहित गांवों में इन दिनों दिनरात आसमान में गर्द व धुंए का गुबार ही नजर आने लगा है। मुख्य कारण बनी है परानी। कस्बे के शहीद भगत सिंह चौक, नोहर भादरा सड़क तिरोहे के पास नोहर व भादरा सड़क किनारे लगी दो दर्जन के करीब पराली की टालें व तारानगर सड़क किनारे चल रही दर्जन भर पीओपी की फैक्ट्री जो यहां की फिंजा में प्रदूषण का जहर घोल रही है।
इन दिनों साहवा सहित आसपास के गांवों में फैल रहे प्रदूषण से लोग काफी परेशान हैं वहीं इन सड़कों से होकर गुजरने वाले वाहन चालक तथा उनमें सवार यात्रियों को भी खतरे का सामना करना पड़ रहा है। इस प्रदूषण का मुख्य कारण है, साहवा की पराली मण्डी में पराली खाली करते समय व कुट्टी मशीनों से पराली की कटाई करते समय उठने वाली गर्द (पराली के चिपकी चिकना मिट्टी का पाउडर) और कुट्टी मशीन के जुगाडी ईंजन से बिना किसी पैमाने के उठता उसका धुंआ एवं तारानगर सड़क किनारे लगी पीओपी फैक्ट्रीयों में जिप्सम ( चूना पाउडर) की पीसाई के लिए दिनरात चलने वाली चक्कियां से उठने वाली जिप्सम पाउडर की गर्द और उसे पकाने के लिए संचालित भट्टियों में जलाए जा रहे तरह तरह के ईंधन से उठने वाला काला व जहरीला धुआं जो दर्जनों गांवों की फिजां में अपने जहर घोल रहा है।
इन दिनों इन सब के कारण हवा में भारी प्रदूषण फैला रहता है तथा आसमान में दिनरात गर्द छाई रहती है जिससे लोगों के घरों में गर्द (धुएं युक्त मिट्टी की काली परतें) जमी रहती हैं, जो प्रदूषण के किसी भारी खतरे से खाली नहीं हैं। इसके अलावा तारानगर सड़क पर इन पीओपी फैक्ट्रीयों की साईड में प्रस्तावित राजकीय हायर विद्यालय के अलावा कई निजी स्कूल और कॉलेज चल रहे हैं वहीं नोहर भादरा सड़क तिराहे पर शहीद भगत सिंह चौक के आसपास बसे लोगों के घरों के अलावा रोड़वेज बस स्टेंड, 1 एग्रीकल्चर महा विद्यालय, 2 निजी हाई स्कूल, 3 निजी आईटीआई व एक दूध डेयरी (दुग्ध संग्रहण एवं अवशीतन केन्द्र) भी हैं। ऐसे में इन सब से जुड़े कार्मिकों, कुशल व अकुशल मजदूरों आदि के अलावा इसके आसपास रहने वाले लोग, पढऩे वाले बच्चे आदि हजारों लोग यहां पर अपनी सांसों के साथ बिना किसी एक्यूआर गणना वाले इस हाई पॉवर के वायु प्रदूषण की विषाक्तता के शिकार हो रहे हैं, जिस पर समय रहते आम जन जागृत तथा सबंधित विभाग व सरकार सचेत नहीं हुए तो इससे होने वाले दुष्प्रभाव कभी विस्फोटक साबित हो सकते हैं। साहवा निवासी विमला, सरोज, रोहित, रेशमी, विनोद आदि ने बताया कि वायु प्रदूषण को हम पिछले 15- 20 वर्षों से झेल रहे हैं, घरों में गर्द और धुंएं की काली परतें जमी रहती हैं। कोई सामान बाहर खुले में नहीं रख सकते हैं। यहां तक की रसोई की खिड़कियां भी खुली नहीं रख सकते। गर्द से बचने के लिए घर के खुले आंगन में भी जूते चप्पल पहन कर रहने को मजबूर हैं।