परिजन व गांव के लोगों ने रविवार को देवेन्द्र की सफलता के लिए गांव के भोमिया जी मंदिर और बालाजी मंदिर में पूजा अर्चना की। मां जीवणी देवी और पिता रामसिंह ने बताया कि देवेन्द्र पर पूरा भरोसा है।
गौरतलब है कि देवेन्द्र सहित राजस्थान से दो खिलाड़ी पैरालंपिक में भाग लेने गए हैं। दोनों से ही काफी उम्मीद है। इस दल में दो महिला एवं 17 पुरुष खिलाड़ी शामिल हैं। रियो पैराओलंपिक में 23 खेलों की विभिन्न स्पर्धाओं में 165 देशों के 4500 खिलाड़ी भाग ले रहे हैं।
अब तक की जीत का सफर वे जेवेलियन थ्रो (भाला फेंक) में लगातार तीन साल तक राज्य स्तर पर प्रथम रहे। वर्ष 2004 में राष्ट्रपति ने विशेष योग्यता पुरस्कार दिया। 2005 में राजस्थान सरकार ने महाराणा प्रताप पुरस्कार से नवाजा। राष्ट्रपति ने 2005 में अर्जुन पुरस्कार प्रदान किया।
उन्हें पदमश्री अवार्ड भी दिया गया। इसी वर्ष पैरा ओलंपिक कमेटी ऑफ इण्डिया ने पीसीआई आउट स्टेण्डिग अवार्ड से नवाजा। इसके अलावा उन्होंने 2002 में बुसान (दक्षिण कोरिया) में जीवन का प्रथम अंतरराष्ट्रीय स्वर्ण पदक जीता। 2003 में ब्रिटेन में ब्रिटिश ओपन चैम्पियनशिप में जेवेलियन में स्वर्ण, 2004 के एथेंस पैरा ओलम्पिक में स्वर्ण पदक, 2006 में मलेशिया पैरा एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक, 9वें पैरा एशियन खेलों में रजत, 2007 ताइवान में आयोजित पैरावल्र्ड गेम्स में स्वर्ण पदक प्राप्त किया।
इंचियोन में आयोजित अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भी देवेन्द्र ने पदक हासिल किया। वर्ष 2015 में कतर में हुई वल्र्ड चैंपियनशिप में रजत पदक, वर्ष 2012 में पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित हो चुके हैं।