जिले के रतनगढ़ तहसील से गांव पाबूसर के एक निर्धन परिवार की बालिका की शादी में भाती बनकर आए आपणी पाठशाला चूरू से जुड़े कॉन्स्टेबल धर्मवीर जाखड़, ओमप्रकाश वर्मा, सुमित गुर्जर, ओमप्रकाश फर्डोलिया, मुकेश मील, ओमप्रकाश मेघवाल, मनोज पचार, रामकिशन भाकर, रामचंद्र लुहार, कालू ने बहन के घर पहुंच 5 पौधे लगाकर भात भरा।
चुरू•Jul 12, 2021 / 10:50 am•
Madhusudan Sharma
मायरा भरकर पेश की मानवता की मिसाल
चूरू. जिले के रतनगढ़ तहसील से गांव पाबूसर के एक निर्धन परिवार की बालिका की शादी में भाती बनकर आए आपणी पाठशाला चूरू से जुड़े कॉन्स्टेबल धर्मवीर जाखड़, ओमप्रकाश वर्मा, सुमित गुर्जर, ओमप्रकाश फर्डोलिया, मुकेश मील, ओमप्रकाश मेघवाल, मनोज पचार, रामकिशन भाकर, रामचंद्र लुहार, कालू ने बहन के घर पहुंच 5 पौधे लगाकर भात भरा। इन पौधों की देखभाल बच्ची का परिवार करेगा। इस बेटी के पिता की करीब 9 साल मृत्यु हो गई थी। जिसके कारण घर की आर्थिक स्थिति बेहद दयनीय थी। लड़की की शादी में होने वाले खर्च से घर वाले भी परेशान थे। इसकी जानकारी आपणी पाठशाला के धर्मवीर जाखड़ को मिली तो उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से इसकी जानकारी संस्था से जुड़े सदस्यों को दी। साथियों ने अपनी ओर से कन्यादान और अन्य सामान भेजकर जिम्मेदारी निभाई। हालांकि पिता की कमी कोई पूरा नहीं कर सकता, लेकिन आपणी पाठशाला के सदस्यों ने भाई बनकर बहन को काफी हद तक पिता की कमियों को दूर करने का प्रयास किया। बहन की शादी 10 जुलाई को हुई। इस अवसर पर जायल के सुशील पारीक ने अपने जन्मदिन पर बरात और शादी में उपस्थित सभी मेहमानों के लिए जूस का प्रबंध किया। एक सिलाई मशीन संदीप ज्याणी, मलसीसर, तारानगर से एक बेड रामप्रसाद जांगिड़, एक अलमारी अभय सिंघानिया, मनीराम स्वामी और सुभाष गोदारा द्वारा मिठाई, राजेंद्र चौधरी, पाजेब दुर्गा राम कड़वासरा जायल, राजाराम कस्वा, कूलर प्रमोद ढाणी गुसाईं और किशनलाल मीणा, शादी में काम आने वाले बड़े बर्तन श्रवण रेवाड़, सरोज अध्यापिका, बीरबल पाबूसर आदि ने कपड़े भेंट कर भात भरा गया।
इन्होंने भी किया सहयोग
इस अवसर पर राजाराम कस्वां, टेकचंद सिहाग, अशोक सुलखानिया, राजकुमार थोरी, सत्येंद्र राजवंशी मोमासर, विनीत शर्मा मोमासर, रोहित शर्मा दूधवाखारा, सुरेश शर्मा, ओम प्रकाश राणा सर, राजेंद्र जी हीरावत,रतननगर , ज्ञानीराम, महेंद्र स्वामी, राजेंद्र कुमार ने अपने अपने हिसाब से मायरे में सहयोग किया। गौरतलब है कि आपणी पाठशाला की ओर से समय-समय पर ऐसे कार्य किए जाते रहे हैं।