जिला मुख्यालय में चूरू-जयपुर रोड पर करोड़ों की लागत से बना रेलवे ओवरब्रिज (आरओबी) पांच साल बाद ही हजारों लोगों के लिए जी का जंजाल बन चुका है। 2013 में बने इस आरओबी की डिफेक्ट लायबिलिटी खत्म होते ही यह दरकने लग गया।
चुरू
Published: May 19, 2022 01:50:36 pm
चूरू. जिला मुख्यालय में चूरू-जयपुर रोड पर करोड़ों की लागत से बना रेलवे ओवरब्रिज (आरओबी) पांच साल बाद ही हजारों लोगों के लिए जी का जंजाल बन चुका है। 2013 में बने इस आरओबी की डिफेक्ट लायबिलिटी खत्म होते ही यह दरकने लग गया। जब मामला तूल पकडऩे लगा तो विभाग ने मामले को शांत करने के लिए इसकी अल्ट्रा साउंड टेस्टिंग शुरू की गई। इस टेस्टिंग में ये आरओबी पास नहीं हुआ, जबकि सानिवि के विभागीय अधिकारियों का कहना है कि इसकी जांच रिपोर्ट ही नहीं आई है। ऐसे में इसकी उपयोगिता और अनुपयोगिता के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। लेकिन ये बात भी सामने आ रही है कि यदि ये अल्ट्रासांउड जांच में ये आरओबी खरा नहीं उतरता है तो तीस करोड़ रुपए की लागत से बने इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट को गिराया जा सकता है। इस स्थिति में सरकार की ओर से खर्च किए गए करोड़ों रुपए माटी में मिल जाएंगे।
फाटक बना समस्या
जयपुर रोड पर बने आरओबी को भारी व बड़े वाहनों के लिए बंद किए जाने के बाद ये वाहन अब अग्रसेन कॉलोनी में से होकर गुजर रहे हैं। जो की लोगों के लिए जी का जंजाल बन गए हैं। लेकिन कॉलोनीवासियों के सामने रेलवे फाटक भी बड़ी समस्या है। यह फाटक ट्रेनों के आवागमन के कारण बंद रहता है। ऐसे में गंभीर परिस्थितियों में लोगों को ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ता है। यहां आए दिन जाम की स्थिति बनी रहती है। इधर, विभाग का तर्क है कि टेस्टिंग की जांच रिपोर्ट उनके पास नहीं आई है।
चार प्रकार की टेस्टिंग की गई
26 सितंबर 2018 को इस आरओबी का निचला हिस्सा गिर गया था। उसके बाद सरकारी तंत्र की कछुआ चाल के चलते हाई पावर कमेटी के आदेश के बावजूद भी इसकी जांच शुरू करने में काफी समय लगा दिया। जब इसकी जांच शुरू की गई तो इसके लिए चार प्रकार की टेस्टिंग की गई। इसमें कोर कटिंग, अल्ट्रासाउंड, रिबाउंड हैमर तथा सेफ लोड टेस्टिंग शामिल थीं। ईटीटीएल की तीन सदस्यीय टीम दो दिन तक चूरू में रुककर इसकी जांच की लेकिन इसकी जांच रिपोर्ट क्या रही अधिकारियों को इसकी खबर तक नहीं है। गौरतलब है कि आरओबी की जांच के लिए 17 जनवरी २019 को सार्वजनिक निर्माण विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव की अध्यक्षता में जयपुर में हुई हाई पावर कमेटी की बैठक में टेंस्टिंग का फैसला लिया था।
28 मई 2013 को सीएम अशोक गहलोत ने लोकार्पण किया था
साल 2009 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इस आरओबी की घोषणा की थी। इसके निर्माण के लिए 29 करोड़ 58 लाख रुपए स्वीकृत किए थे। आरयूआईडीपी को कार्यकारी एजेंसी बनाया गया। गौतम कंस्ट्रक्शन कम्पनी कोलकाता को निर्माण का ठेका दिया। 28 मई, 2013 को सीएम अशोक गहलोत ने इसका लोकार्पण किया।
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