scriptआरओबी के निर्माण में घटिया सामग्री का किया उपयोग! | Substandard material was used in the construction of ROB | Patrika News

आरओबी के निर्माण में घटिया सामग्री का किया उपयोग!

locationचुरूPublished: May 20, 2022 04:26:42 pm

Submitted by:

Madhusudan Sharma

शहर में चूरू-जयपुर रोड पर बनने के महज साढ़े चार साल की अवधि में चौथी बार क्षतिग्रस्त हुए 29.58 करोड़ रुपए लागत से बने आरओबी को भारी वाहनों के प्रवेश के लिए खोले जाने का अब भी इंतजार है।

आरओबी के निर्माण में घटिया सामग्री का किया उपयोग!

आरओबी के निर्माण में घटिया सामग्री का किया उपयोग!

चूरू. शहर में चूरू-जयपुर रोड पर बनने के महज साढ़े चार साल की अवधि में चौथी बार क्षतिग्रस्त हुए 29.58 करोड़ रुपए लागत से बने आरओबी को भारी वाहनों के प्रवेश के लिए खोले जाने का अब भी इंतजार है। लेकिन जिला प्रशासन और सार्वजनिक निर्माण विभाग के आला अधिकारी इसको लेकर हाथ पर हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। ऐसे में हजारों लोग इस आरओबी के कारण परेशान हो रहे हैं। करीब 30 करोड रुपए की लागत से बने इस आरओबी बनने के कुछ साल में ही क्षतिग्रस्त होने लगा था। इसकी उच्च स्तर पर शिकायत की गई तो जिला प्रशासन हरकत मे आया और इसके क्षतिग्रस्त हिस्से को उसकी फर्म से काम पूरा करवाया। उस समय तत्कालीन जिला कलक्टर मुक्तानंद अग्रवाल थे। उनके निर्देश पर आरओबी के क्षतिग्रस्त ब्लॉक की पूरी चौड़ाई की मरम्मत करवाई गई। जहां सरिया टूटा है वो दुबारा लगाकर सीमेंट-कंकरीट भरकर उसे सही किया गया। निर्माण करवा रही एजेंसी सानिवि के अधीक्षण अभियंता व एक्सईएन ने उस समय कार्य की गुणवत्ता भी देखी। लेकिन बाद में रिस्की मानते हुए इसे भारी वाहनों के आवागमन के लिए बंद कर दिया। हालात तो ऐसे हैं कि अधिकारी इस मामले को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। यदि समय रहते ध्यान नहीं दिया तो अग्रेसन में हादसा हो सकता है।
अधिकारियों ने जवाब देना नहीं समझा मुनासिब
उस समय क्षतिग्रस्त अधिकारियों से आरओबी के क्षतिग्रस्त होने के लेकर जानकारी चाही थी लेकिन तत्कालीन सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधीक्षण अभियंता रामहेत मीणा ने किसी प्रकार की जानकारी देने से इनकार कर दिया था। इससे साफ है कि कहीं न कहीं अधिकारियों की लापरवाही का खमियाजा चूरू की जनता को भुगतना पड़ रहा है।
21 अप्रेल 2018 को खत्म हो गई डिफेक्ट लायबिलिटी
जानकारी के अनुसार 21 अप्रेल 2013 को आरओबी का काम खत्म हो गया था। इसके बाद सानिवि की नेशनल हाईवे विंग को आरओबी सौंप दिया था। 21 अप्रेल 2018 को पुल की डिफेक्ट लाइबिलिटी भी समाप्त हो गई। विभागीय अधिकारियो की मानें तो एक ब्रिज बनता है तो उसकी आयु कम से कम पचास वर्ष मानी जाती है। लेकिन ये आरओबी तो सिर्फ छह वर्ष ही क्षतिग्रस्त होकर दरकने लग गया।
हजारों लोग गुजरते हैं अग्रसेन नगर से
गौरतलब है कि आरओबी पर आवागमन 28 मई 2013 को शुरू किया गया था। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसका लोकार्पण किया था। आरयूआईडीपी की ओर से निर्मित इस आरओबी के क्षतिग्रस्त होने से रोजाना करीब 10हजार वाहन चालकों को अग्रसेन नगर से होकर गुजरना पड़ रहा है। ओवरब्रिज के उपर गड्ढ़ा हो जाने से मलबा नीचे गिरने लगा था। इसकी सूचना मिलने पर जिला प्रशासन ने आरओबी के उपर से आवागमन कुछ समय के लिए बंद करवा दिया था। कलक्टर की सूचना पर आरयूआईडीपी के अधिकारियों ने आरओबी का निरीक्षण किया और इसकी रिपोर्ट कलक्टर को सौंपी थी। टीम ने माना था कि मरम्मत के बाद एकबार छोटे वाहनों (बाइक-कार) को ही इसके उपर से गुजरने की अनुमति दी जाए। इसके बाद से ही भारी वाहनों के आवागमन पर प्रतिबंध लगा दिया।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो