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प्रवासी पक्षियों को रास आ रही चूरू की तपती धरा

प्रवासी पक्षियों की प्रजातियां 40 डिग्री तापमान में भी अभयारण्य में मौजूद हैं। इसमें गे्रेटर फ्लेमिंगो व स्टेपी ईगल तथा इस्टर्न इंपीरियल इगल पर्यटकों व पक्षी प्रेमियों के लिए आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं

चुरूApr 12, 2019 / 11:06 pm

Rakesh gotam

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प्रवासी पक्षियों को रास आ रही चूरू की तपती धरा

चूरू.

सर्दी के मौसम में ताल छापर अभयारण्य क्षेत्र में प्रवास पर आने वाली विदेशी पक्षियों को चूरू की आबो-हवा रास आने लगी है। इसी का नतीजा है कि अनेक प्रवासी पक्षियों की प्रजातियां 40 डिग्री तापमान में भी अभयारण्य में मौजूद हैं। इसमें गे्रेटर फ्लेमिंगो व स्टेपी ईगल तथा इस्टर्न इंपीरियल इगल पर्यटकों व पक्षी प्रेमियों के लिए आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं। उक्त पक्षी मार्च के मध्य तक अपने मूल स्थान की तरफ लौट जाते हैं लेकिन चारे की बहुलता व सुरक्षा के कारण बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी अभी भी यहां मौजूद हैं।इस सप्ताह अनेक पक्षियां यहां देखी गई।

एसीएफ दिलीप सिंह ने बताया कि हजारों किलोमीटर का सफर तय कर आने वाली पक्षियां यहां लम्बा समय व्यतीत करने लगी हैं। आम तौर पर प्रवासी पक्षी मध्य मार्च तक यहां से लौट जाते हैं लेकिन इस साल अप्रेल में भी यहां मौजूद हैं। यहां का पर्यावरण इनको रास आने लगा है। मध्य एशिया के क्षेत्र मंगोलिया, चीन, शीतोष्ण एशिया क्षेत्र, यूरेशिया, दक्षिणी-पूर्वी यूरोप क्षेत्र, उत्तरी अफ्रीका व एशिया क्षेत्रों से यहां पक्षी आते हैं। वन रक्षक गजेन्द्र सिंह ने बताया कि इन दिनों बार हेडेड गूज, लिटिल रिंगल पलोवर, सैंड पाइपर, ग्रेटर फ्लेमिंगों, कॉमन ग्रीनशैंक, रेड शैंक, रडी शेल डक, रेड हेडेड बंटिंग, साइबेरियन स्टोनचेड, पेडी फिल्ड पिपीट, लाँग लेग बजार्ड, स्टेपी इगल, इस्टर्न इम्पीरियल इगल आदि पक्षी देखे जा सकते हैं। इनके अलावा टोनी इगल, शिकरा, रूफस, ट्री पाई, रुफस, फ्रोंटेड प्रिनिया सहित कई प्रकार के प्रवासी पक्षी देखे गए। लेकिन अब जल्दी ही ये पक्ष यहां से चले जाएंगे। चूंकि गर्मी काफी बढ़ गई है।
फ्लेमिंगों जलीय कीड़ों को बनाता है भोजना


खारे क्षेत्रों से आने वाले ग्रेटर फ्लेमिंगों पक्षी भी बड़ी संख्या में अभयारण्य में मौजूद हैं। यह पानी में मिलने वाले कीड़ों को अपना भोजन बनाता है। इसकी खासियत है कि यह खारे पानी के पास रहना पसंद करता है।

इंपीरियल व स्टेपी ईगल की विशेषता


इंपीरिय व स्टेपी इगल दोनों दक्षिणी यूरोप, मंगोलिया व मध्य एशिया से यहां सितंबर व अक्टूबर में आ जाते हैं। दोनों चूहे व सांप को अपना शिकार बनाते हैं। सांप को बड़े चाव से खाते हैं। भोजन नहीं मिलने पर मरे हुए जानवरों को भी खा लेते हैं। अभयारण्य में दोनों प्रजातियों के कई इगल मौजूद हैं। शीतल क्षेत्रों से आने वाले प्रवासी पक्षियों को 4० डिग्री तापमान भी रास आने लगा है। मध्य एशिया से अभयारण्य में आने वाली रेड हीडेड बंटिंग भी काफी संख्या में देखी जा रही हैं। यह सितंबर-अक्टूबर में यहां आ आती हैं और मार्च में चली जाती थी। यह कीड़ो-मकोड़ों को अपना भोजन बनाती है। इसके अलावा अनाज के दानों को भी अपना भोजन बनाती है।

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