पर्यावरणविद डॉ. केसी सोनी के अनुसार इस पक्षी की विश्वभर में करीब 9 प्रजातियां पायी जाती हैं। टेलर बर्ड अपना घोंसला विशेष प्रकार के पत्तों जैसे पीपल, बरगद, आक आदि को सिलकर बनाती है। इस पक्षी का नाम इसकी घोंसले बनाने की खास कला की वजह से पड़ा है। उन्होंने बताया कि ये पक्षी कई पत्तियों में छेद करके एक श्रृंखला बनाते है। फिर उन छेद के बीच से पौधों के रेशों, कीड़ो के रेशम और धागों को पिरोकर बिलकुल दर्जी की तरह ही ये पत्तियों को सिलकर आपस में जोड़ देती है। फिर उन सिली हुई पत्तियों के बराबर बीच में बनी हुई जगह पर पर ये घास-पात और फिर रुई रखकर सुविधाजनक अपना घोंसला बनाते है। इस पक्षी का मुख्य भोजन फल, बीज और छोटे - छोटे कीड़े है। बर्ड वॉक के दौरान उपस्थित पर्यावरणविद् डॉ. रविकांत शर्मा व एडवोकेट संदीप शर्मा ने कहा कि अगर हमें आगामी पीढ़ियों को स्वच्छ वातावरण उपलब्ध करवाना है तो प्रत्येक व्यक्ति को पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी तय करनी होगी।