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ओपीजेएस विश्वविद्यालय से एकल विषय में डिग्री लेकर दर्जनों युवा रीट 2016 में बन गए शिक्षक

locationचुरूPublished: Apr 08, 2018 10:53:00 pm

Submitted by:

Rakesh gotam

प्रदेश के कई जिलों में अंग्रेजी सहित अन्य विषयों में शिक्षक के पदों पर चयनित

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राज्य सरकार, निदेशालय व शिक्षा विभाग ने शिकायत के बाद भी नहीं दिया ध्यान

चूरू/सादुलपुर

ओपीजेएस विश्वविद्यायल में फर्जी डिग्री के खेल का भंडाफोड़ होने पर कई चौकाने वाले तथ्य सामने आएं हैं। मोटी कमाई के खेल में यहां के कर्मचारियों ने नियमों को ताक पर रख सैकड़ों डिग्रियां बांट दी। यहां तक कि रीट शिक्षक भर्ती 2016 में अंग्रेजी(ग्रेड-2) में शिक्षक के रूप में कई युवा चयनित हो गए। यहां से एकल विषय में जो डिग्रियां जारी की गई हैं वे 70 प्रतिशत से ऊपर अंक की हैं। प्रदेश के कई जिलों में युवाओं ने ओपीजेएस की डिग्री से शिक्षक बने हैं। यहां हो रहे डिग्री के फर्जीवाड़े को विधायक मनोज न्यांगली ने कई बार विधानसभा में उठाया लेकिन सरकार ने ध्यान नहीं दिया। इसकी वजह से कर्मचारियों ने बदस्तूर फर्जी डिग्रियां बांटने का खेल जारी रखा। मामले का खुलासा होने पर हरियाणा पुलिस ने विश्वविद्याल के नाम से बांटी जा रही फर्जी डिग्री को पकड़ा और कई कर्मचारियों को गिरफ्तार कर लिया।
ओपीजेएस की डिग्री से बन गए अंग्रेजी शिक्षक

शिक्षक भर्ती 2016 में अंग्रेजी विषय से शिक्षक बनने वाले कई युवाओं ने ओपीजेएस विश्वविद्यालय की डिग्रियां लगाई हैं। बैक डेट में डिग्री बांटने का खेल हरियाणा में पहले भी पकड़ा गया था। राजस्थान शिक्षा विभाग के शाला दर्शन पोर्टल पर अपलोड रीट भर्ती 2016 अंग्रेजी विषय में कई डिग्रियां ओपीजेएस विश्वविद्यालय की दिखाई गई हैं। उक्त डिग्रियों से अजमेर में दो, अलवर में एक, भरतपुर में दो, भीलवाड़ा में दो, चूरू में एक, जालौर में चार, जोधपुर में दो, नागौर में 11, सीकर में एक, टोंक में तीन व उदयपुर में एक अभ्यर्थी का चयन किया गया है।
कई अधिकारियों के परिजन ले रहे डिग्री

विश्वसनीय सूत्रों से पता चला है कि ओपीजेएस विश्वविद्यालय से चूरू जिले के कई बड़े अधिकारियों के परिजन, रिश्तेदार व करीबी पीएचडी, एमफिल, सहित कई डिग्रियों के लिए नामांकन करा चुके हैं और शोधकार्य भी जमा करा चुके हैं। इसकी वजह से यहां के अधिकारी उक्त विश्वविद्यालय पर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं किए।
जानिए कौन है इसका संचालक

जानकारी के मुताबिक रोहतक निवासी ओम प्रकाश जोगेन्द्र सिंह यूनिवर्सिटी के संचालक हैं। सिंह ने 2012-13 में राजगढ़ तहसील के गांव रावतसर कुंजला गांव (झुंझुनूं सीमा पर) में इसकी नींव रखी थी। इसके बाद कुछ ही साल में यहां अनगिनत कोर्स शुरू कर दिए गए। सवाल यह भी है कि इतने कोर्स की यूजीसी ने एक साथ मान्यता किस आधार पर दे दी।
विभाग की तरफ से अभी इस बारे में कोई आदेश नहीं मिले हैं। यदि जांच के आदेश आएंगे तो ओपीजेएस यूनिवर्सिटी की डिग्रियों की जांच करवाई जाएगी।
संपत बारूपाल, डीईओ, प्राथमिक शिक्षा, चूरू

फर्जीवाड़े की पुष्टि के लिए विधायक न्यांगली ने एलएलएम में लिया था प्रवेश
राजगढ़ विधायक मनोज न्यांगली ने बताया कि जांच के लिए उन्होंने यूनिवर्सिटी में एलएलएम में प्रवेश लिया था। वहां की व्यवस्था देखा तो स्थिति काफी बदतर दिखी। युवाओं के भविष्य के साथ फर्जीवाड़ा हो रहा है। इसके बाद लगातार विधानसभा में मामला उठाया। शिक्षा मंत्री ने कमेटी गठित करने का आश्वासन दिया। लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। सरकार ने जांच के लिए एक कदम भी नहीं बढ़ाया। विधायक ने खुला आरोप लगाया कि नेताओं की मिलीभगत से छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है। विधायक ने कहा कि यहां सिर्फ प्रवेश दिया जाता है कक्षाएं नहीं चलती हैं। केवल रुपए लेकर डिग्री बांटी जाती हैं। इसी प्रकार क्षेत्र के अधिवक्ता हरदीप सिंह लांबा ने कहा कि इसकी सीबीआई से जांच हो तो बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आएगा। वहीं इस संबंध में ओपीजेएस के कई प्रतिनिधियों से संपर्क किया गया लेकिन किसी ने कोई जवाब नहीं दिया।
निदेशालय ने शिकायत पर नहीं किया गौर
जानकारी के मुताबिक एक अभ्यर्थी ने 28 मार्च को निदेशालय प्रारम्भिक शिक्ष बीकानेर व डीईओ चूरू को लिखित में ओपीजेएस विश्वविद्यालय की डिग्रियों के बारे में शिकायत की थी। लेकिन शिक्षा विभाग ने उक्त शिकायत पर कोई गौर नहीं किया। नतीजा कई वास्तविक डिग्री लेने वाले छात्र चयन से बाहर हो गए और ओपीजेएस के छात्र नोटों के दम पर डिग्री लेकर शिक्षक बन गए। सहां सभी विद्यार्थियों के अंक 70 से ऊपर हैं। अंधिकांश डिग्री 2014-15 व 2015-16 की दिखा रही हंै। विश्वविद्यालय की ओर से दिल्ली, रोहतक, कुरुक्षेत्र में विश्वविद्यालय के कार्यालय खोले गए हैं जहां पर भी प्रवेश दिए जाते हैं।

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