चुरूPublished: Oct 29, 2023 01:00:37 pm
Devendra Sashtari
धोरों की धरती में लाख से बनने वाले कंगनों का कद अन्य आभूषणों से बेहद ऊपर है। सनातन संस्कृति में लाख के चूड़ों का अपना एक अलग ही महत्व है। फैशन के बदलते दौर में भी इस प्राचीन कला की महिमा आज भी बरकरार है। राजस्थान की संस्कृति में इस ऐतिहासिक कला को लोकगीतों के जरिए त्योहारों सहित कई आयोजनों में शामिल किया गया है। त्योहारी सीजन में बढी इनकी मांग, कारीगर तैयार कर रहे खास तरह के फैंसी चूड़े तैयार।
चूरू. धोरों की धरती में लाख से बनने वाले कंगनों का कद अन्य आभूषणों से बेहद ऊपर है। सनातन संस्कृति में लाख के चूड़ों का अपना एक अलग ही महत्व है। फैशन के बदलते दौर में भी इस प्राचीन कला की महिमा आज भी बरकरार है। राजस्थान की संस्कृति में इस ऐतिहासिक कला को लोकगीतों के जरिए त्योहारों सहित कई आयोजनों में शामिल किया गया है। इस बार त्योहारी सीजन में लाख के चूड़ों की बंपर बिक्री होने का अनुमान है। इस पुश्तैनी कारोबार से जुड़े लोगों ने बताया कि गत वर्ष की तुलना में इस बार कारोबार करीब 30 फीसदी अधिक होने के आसार हैं। एक नवम्बर से 15 दिसम्बर तक डेढ माह में त्योहारों व शादियों के चलते शहर में करीब छह करोड़ का व्यापार होने के कयास हैं। इससे जुड़े लोगों ने बताया कि त्योहारों पर मांग बढने के चलते कई तरह के आकर्षक डिजायनों के कंगन, बंगड़ी, चूड़ा, कड़े व दुल्हन सेट तैयार किए जा रहे हैं। कच्चे माल का स्टॉक दिल्ली व हरियाणा से लाकर किया गया है।