scriptएक ही छत के नीचे स्कूल चलाने का उद्ेश्य नहीं हुआ पूरा | The purpose of running the school under one roof is not fulfilled | Patrika News

एक ही छत के नीचे स्कूल चलाने का उद्ेश्य नहीं हुआ पूरा

locationचुरूPublished: Nov 27, 2019 03:45:16 pm

Submitted by:

Madhusudan Sharma

स्टाफिंग पैटर्न के तहत वर्ष 2013-14 में दूसरे स्कूलो में समायोजित कुछ स्कूल अब भी पुराने भवन में ही चल रहे हंै। ऐसे अधिकतर स्कूल नए भवनो में समायोजित हो गए, लेकिन कुछ स्कूल उसी स्थान पर संचालित है।

एक ही छत के नीचे स्कूल चलाने का उद्ेश्य नहीं हुआ पूरा

एक ही छत के नीचे स्कूल चलाने का उद्ेश्य नहीं हुआ पूरा

केस एक: राय साहब चांदमल पाण्ड्या राजकीय प्राथमिक विद्यालय नम्बर 10 नयाबास को राजकीय झंवर बालिका उमावि में मर्ज किया गया लेकिन धरातल में सब कुछ वैसे ही है जैसा मर्ज से पहले था। सिर्फ कागजो में मर्ज हुआ। स्कूल में 7 कक्षा-कक्ष व एक हॉल, स्टोर, कार्यालय, पोषाहार कक्ष हैं। भवन की स्थिति अच्छी है। नामांकन 6 6 व स्टाफ 2 शिक्षको का है।
केस दो: राजकीय कनोई बालिका उच्च प्राथमिक विद्यालय को राजकीय कनोई बालिका उमावि में मर्ज कर दिया गया लेकिन कक्षा एक से 5वीं की कक्षाऐं अभी भी पुराने भवन में ही लगती है। जहां पर 196 विद्यार्थियो का नामांकन है ओर कक्षा कक्ष 5 व एक हॉल भवन अच्छी स्थिति में है। ऐसी स्थिति अनेक मर्ज स्कूलो की है। जहां पोर्टल में एक छत के नीचे काम करना बताया जा रहा है।
सुजानगढ़. स्टाफिंग पैटर्न के तहत वर्ष 2013-14 में दूसरे स्कूलो में समायोजित कुछ स्कूल अब भी पुराने भवन में ही चल रहे हंै। ऐसे अधिकतर स्कूल नए भवनो में समायोजित हो गए, लेकिन कुछ स्कूल उसी स्थान पर संचालित है। जिन स्कूलो में इन्हें मर्ज किया गया, वहां जगह ही नहीं है। ऐसे स्कूलो को पुराने ही भवनो में संचालित करने के आदेश दे दिए गए, लेकिन शाला दर्पण पर उन स्कूलो का कोई वजूद नहीं है। ऐसे में सरकार के आदेशो की पूरी तरह पालना नहीं हो सकी। इन स्कूलों की जानकारी सम्बन्धित जिला शिक्षा अधिकारियो को भी है, लेकिन वे इस पर ध्यान नहीं दे रहे है।
पूर्ववर्ती सरकार ने दिए थे आदेश
गौरतलब है कि वर्ष 2013-14 में भाजपा सरकार ने 40 से कम व शून्य नामांकन वाले स्कूलो को नजदीक के बड़े विद्यालय में मर्ज करने के आदेश दिए थे। इसके बाद ऐसे अधिकतर स्कूल नजदीक के बड़े स्कूलो में मर्ज कर दिए गए। कुछ स्कूल स्थानाभाव के कारण उसी पुराने भवन में संचालित होते रहे। अब समस्या यह है कि वहां कार्यरत स्टाफ को अपने कार्य के लिए स्कूल छोड़कर मर्ज किए गए स्कूल के संस्था प्रधान के पास जाना पड़ता है। यही नहीं इन स्कूलो में अब छात्र संख्या भी कम हो गई है। राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्ष संघ ने अलग परिसर में संचालित स्कूलों को पृथक इकाई मानकर उसी अनुसार शिक्षको के पद स्वीकृत करने की मांग की है। सुजानगढ़ सहित चूरू जिले में ऐसे कई स्कूल है, जो समायोजन के बाद भी अलग भवन में चल रहे है। ऐसे स्कूलो को या तो पूरी तरह उसी स्कूल परिसर में स्थानान्तरित किया जाना चाहिए अथवा उनके पुराने अस्तित्व को बहाल करते हुऐ उन्हे अलग इकाई घोषित किया जाना चाहिए।
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