Soul is Permanent And Body is Temporary -आत्मा और शरीर दो तत्वों का योग, आत्मा स्थायी और शरीर अस्थायी है- महाश्रमण
चूरू. सादुलपुर कस्बे में सोलह वर्षों बाद तथा आचार्य बनने के बाद पहली बार शनिवार को शहर में जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता आचार्य महाश्रमण का मंगल पदार्पण हुआ तो कस्बा खुशी से झूम उठा। स्वागत में केवल तेरापंथी लोग की नहीं, हर वर्ग, समाज के लोग अभिवंदना कर रहे थे। विधायक डॉ कृष्णा पूनिया, बसपा नेता मनोज न्यागली, व्यवसायी उमेद मालू, संजय नाहटा, पवन मोहता आदि लोगों ने भी आचार्य का अभिनंदन किया।
चुरू
Updated: April 17, 2022 12:42:31 pm
चूरू. सादुलपुर कस्बे में सोलह वर्षों बाद तथा आचार्य बनने के बाद पहली बार शनिवार को शहर में जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता आचार्य महाश्रमण का मंगल पदार्पण हुआ तो कस्बा खुशी से झूम उठा। स्वागत में केवल तेरापंथी लोग की नहीं, हर वर्ग, समाज के लोग अभिवंदना कर रहे थे। विधायक डॉ कृष्णा पूनिया, बसपा नेता मनोज न्यागली, व्यवसायी उमेद मालू, संजय नाहटा, पवन मोहता आदि लोगों ने भी आचार्य का अभिनंदन किया। राष्ट्रीय राजमार्ग 52 पर स्थित आइएस. एकेडमी से लगभग 8 किमी विहार कर जुलूस के साथ आचार्य सुराणा सदन में प्रवास के लिए पुहंचे। आचार्य ने कहा कि जीवन जीने के लिए आदमी को कितना श्रम करना पड़ता है, कई बार मुश्किलों का भी सामना करना पड़ता है। जीवन आत्मा और शरीर रूपी दो तत्वों का योग है। आत्मा स्थाई और शरीर अस्थाई है। फिर भी मनुष्य शरीर को टिकाए रखने के लिए कठोर श्रम करता है और कठिनाइयों को भी झेल लेता है। व्यक्ति यह सोचे कि वह जीवन क्यों जीना चाहता है। मानव जीवन को बनाए रखने का एक लक्ष्य मोक्ष की प्राप्ति होना चाहिए। पूर्व कर्मों को क्षय करने के लिए आदमी को जीवन जीना चाहिए। यह मनुष्य जीवन एक मात्र ऐसा जीवन है, जिसमें उत्कृष्ट साधना करके आदमी मोक्षश्री का वरण कर सकता है। गृहस्थावस्था में भी मोक्ष प्राप्ति की दिशा में आगे बढऩे के लिए धर्म-साधना के माध्यम से आगे बढऩे का प्रयास करते रहना चाहिए। मानव जीवन का कुछ उपयोग धार्मिक साधना में हो। आचार्य ने शहर आगमन के संदर्भ में कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ के महाप्रयाण के बाद पहली बार राजगढ़ आना हुआ है, आज से थली की यात्रा का शुभारम्भ हो गया है।
राजगढ़ की जनता में धर्म की भावना बनी रहे, सद्भावना, नैतिकता व नशामुक्ति का प्रभाव बना रहे। सभी नागरिकों के भीतर नैतिक व धर्म की चेतना का विकास होता रहे। आचार्य के मंगल प्रवचन से पूर्व मुख्यनियोजिका साध्वी विश्रुतविभा ने भी शहरवासियों को प्रेरणा प्रदान की। आचार्य महाश्रमण प्रवास व्यवस्था समिति के संयोजक संजय सुरणा, किशोर मण्डल की ओर से पीयूष सुराणा, सुमन नाहटा, पुष्पराज सुराणा , श्याम जैन, तेरापंथ महिला मण्डल, तेरापंथ कन्या मण्डल, नाहटा परिवार, चंपालाल नाहटा परिवार, कोचर परिवार, सुराणा परिवार, मुकेश, सीमा, प्रियंका गधैया, कन्हैयालाल सुरणा परिवार के सदस्यों ने उनका अभिनंदन किया। इस अवसर पर हजारों की भीड़ ने आचार्य का अभिनन्दन किया। इस अवसर पर नैतिक मूल्यों की प्रतिष्ठा के संबंध में उन्होंने कहा की हर व्यक्ति का कार्यस्थल भी धर्म स्थल बन जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मेरे द्वारा बताए जा रहे धर्मस्थल का मतलब है कि वहां पर अनैतिक व असामाजिक कृत्य ना हो तथा सदाचरण के अनुसार कार्य हो सके। उन्होंने कहा कि धर्म स्थानों में अशुद्ध धनराशि का प्रवेश ना हो। साध्वी प्रमुखा कनक प्रभा को भी याद करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसी मातृ शक्ति बहुत कम होती है।

Soul is Permanent And Body is Temporary -आत्मा और शरीर दो तत्वों का योग, आत्मा स्थायी और शरीर अस्थायी है- महाश्रमण
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