एक समय था कि चूरू से नौ किलोमीटर दूर रतननगर टाउन प्लानिंग व स्थापत्य कला के लिए अलग पहचान रखता है। इतिहास के जानकारों की माने तो हवेलियों के आर्किटेकचर देखने के लिए कभी अंग्रेजी हुकुमत में बंबई गर्वनर रहे स्कॉलेंड के माउंट स्टुअर्ड एलफीन स्टोन रतननगर आए थे। इतिहासविद केसी सोनी ने बताया कि कस्बे की स्थापना के बाद यहां पर हवेलियों का निर्माण शुरू हुआ।
उन्होंने बताया कि यहां बनी हवेलियां आमेर व जयपुर रियासत के भवनों की शैली में बनी हुई है। सोनी ने बताया कि बिसाऊ मूल के सेठ नंदराम केडिया ने विसं 1917 में ज्येष्ठ माह की कृष्ण पक्ष अष्टमी को कस्बे की नींव रखी गई थी। यहां की हवेलियों का निर्माण कार्य फतेहपुर कस्बे के कटारिया परिवार के लोगों ने किया था। उन्होंने बताया कि खास तरह से बनाई हवेलियां गर्मियों में ठंडी व सर्दियों में गर्म रहती थी। जानकार बताते है कि जिस हवेली में 51 टोडे (छज्जे के नीचे बने सपोर्ट) उसे सबसे भव्य माना जाता था।