Acharya Mahashraman- अनादि, अनंत काल से चली आ रही जन्म-मृत्यु की परंपरा -आचार्य महाश्रमण
चूरू (सरदारशहर). आचार्य महाश्रमण ने सरदारशहर की लाडली मुमुक्षु निशा डागा को युगप्रधान समवसरण में शुक्रवार को जैन भगवती दीक्षा प्रदान की तो सरदारशहरवासी प्रसन्नता से झूम उठे। शहर में दीक्षा समारोह के आयोजन से शहरवासियों में हर्ष का माहौल है। आचार्य के सुबह युगप्रधान समवसरण के मंच पर विराजमान होने पर प्रवचन पंडाल जयकारों से गुंजायमान हो उठा। मुमुक्षु मानवी आंचलिया ने दीक्षार्थी निशा डागा का परिचय प्रस्तुत किया। पारमार्थिक शिक्षण संस्था के संयोजक मोतीलाल जीरावला ने आज्ञा पत्र का वाचन किया।
चुरू
Published: May 07, 2022 11:50:14 am
चूरू (सरदारशहर). आचार्य महाश्रमण ने सरदारशहर की लाडली मुमुक्षु निशा डागा को युगप्रधान समवसरण में शुक्रवार को जैन भगवती दीक्षा प्रदान की तो सरदारशहरवासी प्रसन्नता से झूम उठे। शहर में दीक्षा समारोह के आयोजन से शहरवासियों में हर्ष का माहौल है। आचार्य के सुबह युगप्रधान समवसरण के मंच पर विराजमान होने पर प्रवचन पंडाल जयकारों से गुंजायमान हो उठा। मुमुक्षु मानवी आंचलिया ने दीक्षार्थी निशा डागा का परिचय प्रस्तुत किया। पारमार्थिक शिक्षण संस्था के संयोजक मोतीलाल जीरावला ने आज्ञा पत्र का वाचन किया। दीक्षार्थी निशा के पिता व माताजी ने लिखित पत्र को आचार्य को समर्पित किया। मुख्यनियोजिका साध्वी विश्रुतविभा ने दीक्षा के महत्व को व्याख्यायित किया।
आचार्य महाश्रमण ने कहा कि आत्मा अनादि, अनंत काल से जन्म-मृत्यु की परंपरा चली आ रही है। बार-बार जन्म लेना और बार-बार मृत्यु को प्राप्त होते-होते हमारी आत्मा ने अब तक कितने जन्म ले लिए होंगे और मृत्यु को प्राप्त कर चुकी है। संसार में दु:ख भी है और सुख भी है, किन्तु दु:ख अधिक है। इस संसार में जन्म भी दु:ख है, मृत्यु भी दु:ख है, बुढ़ापा दु:ख है और बीमारी भी दु:ख है। इन दु:खों से बचने का एक उपाय है संन्यासी बन जाना। साधु जीवन में सम्यक्त्व का पालन करते हुए अपनी आत्मा के कल्याण का प्रयास करना चाहिए। एक धर्म ही है जो इस जीवन में और आगे परलोक में भी व्यक्ति का साथ देता है। आचार्य ने तेरापंथ के प्रथम आचार्य भिक्षु सहित समस्त पूर्वाचार्यों का स्मरण करते हुए कहा कि दीक्षा की आज्ञा लिखित रूप में तो प्राप्त हो गई है। दीक्षार्थी के माता-पिता व अन्य परिजनों की स्वीकृति के उपरान्त आचार्य ने दीक्षार्थी मुमुक्षु निशा डागा के मनोभाव का परीक्षण कर दीक्षा की भावना पुष्ट जानकर साध्वी दीक्षा प्रदान की। नवदीक्षित साध्वी ने आचार्य को सविधि वंदन किया। आचार्य ने अतीत की आलोयणा कराई। मुख्यनियोजिका ने नवदीक्षित साध्वी का केश लुंचन किया तथा रजोहरण प्रदान किया। आचार्य ने केशलुंचन विधि व राजोहरण प्राप्त हो जाने के उपरान्त नवदीक्षित साध्वी को संयम जीवन के शुभारम्भ पर नया नाम साध्वी नमनप्रभा प्रदान किया। श्रावक-श्राविकाओं ने नवदीक्षित साध्वी को वंदन किया। अंत में रूपचंद दूगड़ ने अपनी कृति पूज्यचरणों में लोकार्पित की। तेरापंथ भवन में प्रवास व्यवस्था समिति के अंतर्गत तेयुप एवं तेमम के निर्देशन में तेरापंथ किशोर मंडल एवं तेरापंथ कन्या मंडल द्वारा भगवान महावीर एवं आचार्य श्री महाश्रमण जीवन दर्शन प्रदर्शनी लगाई गई है। इस अवसर पर समिति के अध्यक्ष बाबूलाल बोथरा, महामंत्री सूरजदेवी बरडिय़ा, सिद्धार्थ चिण्डालिया, पारस बुच्चा, संजय बोथरा, वद्र्धमान सेठिया, राजीव दूगड़, श्रीचन्द नौलखा सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।
शिक्षक सम्मेलन में आज मिलेगा आचार्य का सान्निध्य
सरदारशहर. तेरापंथ भवन में शनिवार को दोपहर 2 बजे अणुव्रत समिति सरदारशहर की ओर से होने वाले शिक्षक सम्मेलन में अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य महाश्रमण का सान्निध्य मिलेगा। सम्मेलन की तैयारियों का अंतिम जायजा लेने के लिए अणुव्रत राष्ट्रीय पर्यवेक्षक मनन मुनि महाराज व राष्ट्रीय संगठन मंत्री डा.कुसुम लूणिया के सान्निध्य में अणुव्रत समिति अध्यक्ष पृथ्वीङ्क्षसह बिदावत की अध्यक्षता में बैठक रखी गई।

Acharya Mahashraman- अनादि, अनंत काल से चली आ रही जन्म-मृत्यु की परंपरा -आचार्य महाश्रमण
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