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कड़वा सच : मिनरल वाटर के नाम पर आप जो पानी पी रहे हैं… तो हो जाएं सावधान

locationचुरूPublished: May 06, 2018 05:05:56 pm

Submitted by:

vishwanath saini

जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग को धत्ता बताते हुए लोग मिनरल वाटर को बेझिझक होकर सरेआम बेच रहे हैं।

mineral water

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मधुसूदन शर्मा
चूरू.इसे लोगों का शगल कहें या जुनून, लेकिन यह कड़वी सच्चाई है। जिला मुख्यालय पर इन दिनों लोगों में मिनरल वाटर का उपयोग करने की होड़ मची है। दूसरे शब्दों में कहें तो इस पानी का उपयोग आज स्टेट्स सिंबल बन गया है। शादी समारोह के अलावा रोजमर्रा के कामों में भी इस पानी का खूब उपयोग हो रहा है। शहर में फ्लोराइड पानी की अधिकता की भ्रांति फैलाकर तथा स्वास्थ्य की दुहाई देकर लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करके जमकर चांदी कूटी जा रही है। जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग को धत्ता बताते हुए लोग मिनरल वाटर को बेझिझक होकर सरेआम बेच रहे हैं। शहर में बिक रहे इस पानी की बोतलों से भरे मिनी टैंकर दिनभर शहर की सडक़ों पर दौड़ रहे हैं। क्या वास्तव में चूरू के लोगों को मिनरल वाटर की आवश्यकता है। जिसे आप मिनरल वाटर समझकर पी रहे हैं। वह हकीकत में मिनरल वाटर है भी या नहीं। मिनरल वाटर बेचने वालों के पास इस पानी की शुद्धता मापने का कोई पैमाना है क्या। क्या उन्होंने पानी को इस तरह बेचने की कोई अनुमति ली। सहित दर्जनों ऐसे सवाल हैं जिनके बारे में कभी ईमानदारी से सोचा भी नहीं गया।

इन सभी सवालों से पर्दा उठाती इस गोरखधंधे को उजागर करती पत्रिका की एक रिपोर्ट।
मिनरल के नाम पर आप जो पानी पी रहे हैं। तो सावधान हो जाएं। कहीं ये आपके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ तो नहीं कर रहा। इन दिनों बाजार में बिक रहे इस पानी में स्वास्थ्य के लिहाज से वांछित तत्व मौजूद नहीं है। इससे लोग गंभीर बीमारियों के शिकार हो सकते हैं। स्टेट्स सिम्बल के तौर पर शहर में मिनरल वाटर का बहुतायत से उपयोग किया जा रहा है। लोग इसके प्रतिकूल प्रभावों से अनजान है। जन स्वास्थ्य से जुड़े अधिकारियों के अनुसार पानी गंध रहित, सुस्वाद, स्वच्छ, शीतल और जीवाणु रहित होना चाहिए। शहर में बिक रहे मिनरल पानी में इन तत्वों का अभाव है। केवल इस पानी को फिल्टर करके ही खुलेआम बेचा जा रहा है। नियमानुसार इस तरह पानी बेचना कानूनन अवैध है। प्रशासन भी आंखे मूंदकर बैठा है। जलदाय विभाग के अधिकारियों की मानें तो चूरू के पानी में फ्लोराइड की मात्रा अधिक नहीं है।


पैसे का खेल
शहर में चल रहे यह प्लांट कितने मापदंड पूरे करते हैं। यह जांच का विषय है। लेकिन व्यवसायियों ने बताया कि यह सब पैसे का खेल है। उन्होंने बताया कि अधिकारियेां से अच्छी सांठ-गांठ है तो कार्रवाई का सामना नहीं करना पड़ता।


स्वास्थ्य विभाग ने नहीं की कार्रवाई
स्वास्थ्य विभाग ने अवैध रूप से मिनरल पानी बेचने वाले लोगों के खिलाफ अभी तक कार्रवाई नहीं की है। विभाग के अधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि खाद्य निरीक्षक से बात करो। सूत्रों का कहना है कि ब्यूरो इंडियन स्टेंडर्ड(बीआईएस) मार्क पानी का ही सैम्पल लिया जाता है। यदि किसी के पास यह मार्का नहीं है तो इसका सैम्पल नहीं किया जा सकता। बिना आईएसआई मार्का के पानी बेचना अपराध की श्रेणी में आता है। खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम १९५४ के तहत पैकिंग पानी का ही सैम्पल जांच के लिए लिया जा सकता है।


चूरू में प्रतिदिन पानी की खपत
चूरू शहर में इन प्लांटों से रोजाना फिल्टर होकर निकलने वाले पानी की खपत प्रतिदिन २५ से ३० हजार लीटर के करीब है। पानी के विक्रेताओं ने बताया कि सरकार के पानी को केवल फिल्टर करके ही दिया जा रहा है।


हो सकती गंभीर बीमारी
कहने को तो लोगों की नजर में ये पानी खनिज तत्वों से भरपूर है। इसके दूरगामी प्रभाव हैं। इसके पीने से लोगों में कमजोरी आ सकती है। चिकित्सकों की मानें तो लगातार इसके पीने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता समाप्त हो सकती है। व्यक्ति अनेक बीमारियों से भी ग्रसित हो सकता है।


मिनरल वाटर में नहीं वांछित तत्व
शहर में मिनरल वाटर की दर्जनभर फेक्ट्रिंया अवैध रूप से संचालित हो रही है। इसमें मिलने वाले तत्वों की मात्रा कहीं नहीं के बराबर तो कहीं अधिक है। इसमें सोडियम, कैल्सियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम होना जरूरी है। लेकिन ये प्लांट मापदंड पर खरा नहीं उतर रहे। कुछ एक को छोडक़र अधिकतर ने तो रजिस्ट्रेशन भी नहीं करवा रखा।


क्या कहते हैं जिम्मेदार
-चूरू में जो पानी मिनरल के नाम पर बिक रहा है। वह गुणवत्ता के हिसाब से सही नहीं है। क्योंकि इसमें जो मिनरल होने चाहिए वे उपलब्ध नहीं है। शहर में पानी जांच की लेबोरेट्री है। लेकिन किसी भी मिनरल वाटर बेचने वाले व्यवसायी ने इसी जांच नहीं करवाई है। फ्लोराइड के डर से लोग इस पानी को पी रहे हैं।
राकेश कुमार, कनिष्ठ रसायनज्ञ, जलदाय विभाग चूरू


-स्वास्थ्य विभाग के नियम के मुताबिक पैकेजिंग ड्रिंक वाटर या आईएसआई मार्क के पानी की जांच की जाती है। फिल्टर पानी की जांच के लिए वे अधिकृत नहीं है। यदि किसी की शिकायत आती है तो इस संबंध में पानी के सैम्पल की विशेष रूप से जांच की जाएगी।
मदन बाजिया, स्वास्थ्य निरीक्षक, रतनगढ़


-मिनरल वाटर में जो तत्व होने चाहिए वो फिल्टर से कम हो जाते हैं। इसमें जो माइक्रो न्यूट्रोन होते हैं उनकी मात्रा कम हो जाती है। जिसका सीधा असर मांसपेसियों और हडिड्यों पर पड़ता है। इस पानी के दूरगामी प्रभाव हैं। इस पानी से भरपूर मिनरल नहीं मिल पाते हैं।
डा.मोहम्मद आरिफ, सहायक आचार्य, मेडिसिन विभाग, मेडिकल कॉलेज चूरू


प्रशासन ने नहीं की कार्रवाई
खुलेआम फलफूल रहा कारोबार
क्या है डब्ल्यूएचओ के मानक
तत्व वांछित अधिकतम

पीएच मान 6.5 8.5
टीडीएस 500 2000
नाईटे्रट 45 100
क्लोराइड 250 1000
फ्लोराइड 1.0 1.5
सल्फेट 200 400
क्लोरीन 0.2
एलकीनिटी 600 से अधिक
कठोरता 300 600

क्यों है जरूरी पानी
– पानी शरीर की कोशिकाओं को नम व जीवित रखता है।
– तरल द्रव्यों के संवहन में सहायक है।
– जल भोजन को गीला करके पाचन मे ंसहायक है।
– शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है।
– यह शरीर के लिए आवश्यक लवण जैसे सोडियम, पोटेशियम, कैल्सियम आदि को अवशोषित कर रुधिर में प्रविष्ट कराने में सहायता करता है।


कहां-कहां लगे प्लांट
शहर में मिनरल वाटर के नाम से पानी विक्रय करने वालों ने अनेक स्थानों पर अपने प्लांट लगा रखे हैं। चूरू में प्रतिभा नगर, आथूणा मोहल्ला, सातड़ा कॉलोनी, नया बास, भरतिया कुआ के पास, बिसाऊ फाटक के पास, सुनारों की कुई के पास, मोचीवाड़ा, शेखावत कॉलोनी, औद्योगिक क्षेत्र सहित 50 स्थानों पर ऐसे प्लांट संचालित किए जा रहे हैं।

 

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