गजब की है नक्कासी
1826 में शुरु हुआ इसका निर्माण कई वर्षों में पूरा हुआ। इस किले की खासियत है कि यह चारो तरफ से बड़ा ही सुरक्षित है। दो ओर से यह नदियों से घिरा है, तीसरी ओर विशाल पहाड़ इसकी रक्षा कर रहा है। किले में ऐसी नक्कासी है जिसे देखो तो फिर नजर हटाने का मन नहीं करता। यहां पहुंचने वाले लोग इसकी बनावट को देखकर दांतो तले अंगुलिया दबा लेते हैं।
ये है खासियत
– विजय के प्रतीक राघव जी का भव्य मंदिर
– रंगमहल की नक्कासी
– रनिवास का आकार
– गढ़ी के निर्माण की कलाकृति
– दीवारों की अद्भुत नक्कासी
जानें एक नजर में राज साहब को
– 1826 में मैहर के ठाकुर की मृत्यु
– पुत्र प्रयागदास को विजयराघवगढ़ की मिली जागीर
– 29 फरवरी 1828 में प्रयाग दास बने विगढ़ के राजा
– 1845 में राजा प्रयागदास की मृत्यु हो गई
– 5 वर्ष के सरयूप्रदास बने उत्तराधिकारी
– 1857 की क्रांति में 17 वर्ष के सरयूप्रसाद ने लड़ा युद्ध
– कम उम्र में राजा साहब ने छुड़ाए थे अंग्रेजों के छक्के
– 1864 में हुआ था अजीवन कारावास
– आज भी रहते हैं राजा साहब के वंशज
ये हैं दार्शनिक स्थन
– राजा सरयूप्रसाद का किला
– किले के अंदर बनी बावड़ी
– मुडियन महल
– स्मारक
– शिलालेख
– किले की नक्कासी
ये समाए हैं रहस्य
– रंग महल के नीचे दबा खजाना
– किले के अंदर 7 दरवाजे वाली बावड़ी
– स्वर्ण रजत आभूषणों का भंडार
– खजाने तक पहुंचने का गुप्त रास्ता
– किले के चारो ओर बनी गहरी खाई
– खाईयों में भरा हुआ पानी
– किले तक पहुंचने का असंभव रास्ता
– किले का न दिखने वाला दरवाजा
– विस्मयकारी रोमांच पैदा करने वाला किले का मुख्य द्वार
सुरक्षा की मिसाल पेश कर रहा किला
– बड़ा ही मजबूत बना है ये किला
– किले की दक्षिण दिशा में पश्विम से पूर्व कठने नदी बह रही है
– दक्षिण से उत्तर की ओर किले की पूर्व में दिशा में महानदी बह रही है
– पूर्व से पश्चिम की ओर विशाल पर्वत अड़ा हुआ है