चुरू

भीगी पलकें, रातभर जागता रहा साहवा

कस्बे के लोग देर रात तक जाग रहे थे। उनके बाल सखा व नजदीकी रिश्तेदार कभी लाडले की शहादत पर गर्व कर रहे थे तो कभी उनकी बचपन की बातें यादकर फफक रहे थे। हर किसी की आंखें नम थीं और चेहरे उदास। गांव के लाडले कमल कुमार के शहीद होने की सूचना शाम को मिली थी।

चुरूDec 05, 2019 / 08:12 pm

Madhusudan Sharma

भीगी पलकें, रातभर जागता रहा साहवा

साहवा. कस्बे के लोग देर रात तक जाग रहे थे। उनके बाल सखा व नजदीकी रिश्तेदार कभी लाडले की शहादत पर गर्व कर रहे थे तो कभी उनकी बचपन की बातें यादकर फफक रहे थे। हर किसी की आंखें नम थीं और चेहरे उदास। गांव के लाडले कमल कुमार के शहीद होने की सूचना शाम को मिली थी। गमगीन माहौल के चलते शहीद के घर का मार्ग सन्नाटे से अटा हुआ था तो कस्बे के बाजार लाडले की पार्थिव देह आने का इंतजार कर रहे थे। इस घटना की सूचना पर पूरा गांव स्तब्ध था और शोक की लहर छा गई थी। शहीद की पार्थिव देह किसी कारण से गुरुवार शाम तक श्रीनगर से बीकानेर के लिए रवाना नहीं हो सकी। गुरुवार सुबह साढे 9 बजे सेना सम्मान की कार्रवाई पूरी किए जाने के बाद सुबह 11 बजे सेना के विशेष विमान से तीन शहीदों की पार्थिव देह श्रीनगर से चंडीगढ़ व बीकानेर के लिए रवाना होनी थी। मगर किसी कारण से सेना का विशेष विमान श्रीनगर नहीं पहुंच पाया। शुक्रवार सुबह किसी समय चंडीगढ़ और बीकानेर के लिए रवाना किया जा सकता है।

जुलाई में हुई थी सगाई
साहवा के शहीद कमलकुमार की सगाई माह जुलाई 2019 में उसके साथ बीए प्रथम में सहपाठी रह चुकी एक लड़की से हुई थी। जो इस वर्ष बीएड प्रथम वर्ष में अध्ययनरत है तथा बीएड पूर्ण होने पर दोनों के परिजन शादी करना चाहते थे लेकिन नियती को कुछ और ही मंजूर था। कमलकुमार के शहीद होने की सूचना उसके चाचा रमेशकुमार को मिली थी। लेकिन उन्होंने किसी को जानकारी नहीं दी।

सूचना देती तो मां-पिता रोटी नहीं खाते
बुधवार शाम को टीवी पर शहीद होने की जानकारी उसकी इकलौती छोटी बहन प्रमिला को मिल गई। लेकिन इस दर्द को उसने सीने में ही दबाए रखा और बदहवाश हो गई। रात को खाना खाकर सो गई। गुरुवार सुबह रोजाना की तरह टीटी कॉलेज के लिए पढऩे के लिए भादरा रवाना हो गई। जिसे उसके रिश्तेदार न देख लिया। उसने बस का पीछा कर भादरा के रास्ते में प्रमिला को साहवा वापस ले आए। जब उससे पूछा तो बताया कि यदि ये जानकारी घर में दे देती तो उसके माता-पिता खाना नहीं खाते।
अंत्येष्टि के लिए जमीन का अवलोकन
शहीद की अंत्येष्टी के लिए परिजनों ने जिला प्रशासन से राजकीय भूमि उपलब्ध करवाने की मांग की। जिस पर तारानगर विधायक नरेन्द्र बुडानिया ने जिला कलक्टर से वार्ता की। इस पर उपखण्ड अधिकारी तारानगर अर्पिता सोनी गुरुवार दोपहर हल्का पटवारी व शहीद के परिजनों को साथ लेकर गांव में पहुंची। परिजनों की सहमति पर भाड़ंग रोड़ पर स्थिति गोचर भूमि में शहीद स्मारक के लिए प्रयाप्त भूमि शीघ्र आंवटन करने का आश्वासन दिया। इसी स्थान पर शहीद का अंतिम संस्कार किया जाएगा।
बाजार रहेगा बंद
शहीद की अंत्येष्टि के दिन साहवा बाजार बंद रखा जाएगा। साहवा व्यपार मण्डल अध्यक्ष देवीदत्त परीक ने बताया कि शुक्रवार को साहवा बाजार बंद रखने का निर्णय लिया है। किसी कारण से शुक्रवार को अंतिम संस्कार नहीं हो पाया तो अगले दिन बाजार बंद किया जाएगा।

सन्नाटे में रही गली
शहीद कमलकुमार की पार्थिव के इन्तजार में गांव के बाजार, चोैपाल, बस स्टैण्ड पर चर्चाएं रही। सब लोग लाडले की पार्थिव देह का इंतजार करते नजर आए लेकिन कोई किसी से पूछने की हिम्मत भी नहीं जुटा पा रहा था। शहीद के घर की गली सन्नाटा पसरा हुआ था।

गली का मुआयना किया
तारानगर उपखण्ड अधिकारी अर्पिता सोनी व साहवा थानाधिकारी गोविन्दराम ने शहीद की अंतिम यात्रा के मार्ग को लेकर शहीद के घर को जाने वाली गली का मौका देखा। अंतिम यात्रा के लिए उपयुक्त रास्ते के बारे में ग्रामीणों से चर्चा भी की।

पढ़ाई बीच में छोड़ सेना में भर्ती हुआ
शहीद कमलकुमार साहवा में 12वीं कक्षा पास करके बीए प्रथम वर्ष की परीक्षा उतीर्ण करने के बाद पढाई बीच में ही छोड़ दी और 2 जाट रेजीमेंट सेना में भर्ती हो गए। टे्रनिंग के बाद जम्मू कश्मीर के तंगधार क्षेत्र में गत दिनों ही उसकी प्रथम पहली पोस्टिंग हुई थी। जहां पर वह पेट्रोलिंग करते हुए हिमस्खलन से शहीद हो गए।

शहीद के पिता करवा रहे निशुल्क तैयारी
शहीद के पिता धर्मेन्द्रकुमार धींधवाल भी 2 जाट रेजमेन्ट में हवलदार के पद से 30 जून 2016 को सेवानिवृत हुए थे। उसके बाद से वे गांव के युवाओं को सेना भर्ती के लिए निशुल्क दौड़ की तैयारी करवा रहे हैं। जिसके चलते उनकी बेटी प्रमिला भी एथलेटिक्स की अच्छी खिलाड़ी बन कर नेशनल तक खेल चुकी है।

घटना से तीन दिन पहले हुई थी पिता से बात
कमल कुमार ने हिमस्खलन होने से तीन दिन पहले अपने धर्मेन्द्र कुमार धींधवाल से फोन पर बात की थी। उसने पिता को बताया कि तंगधार में उपर होने के कारण उसके हाथ में खुजली हो रही है। पिता ने ये जानकारी उसके अधिकारियों देने की बात कही। कमल ने अधिकारियों से इस बारे में चर्चा की तो उन्होंने उसे तंगधार चोटी से नीचे पोस्टिंग दे दी। नीचे आते समय हिमस्खलन हुआ और वह देश के लिए शहीद हो गया।

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