धर्मस्तूप (लाल घंटाघर) का छज्जा टूटा
जानकारो के अनुसार लाल घंटाघर के नाम से प्रसिद्ध धर्मस्तूप का निर्माण आजादी से पूर्व बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह ने कराया था। लाल पत्थरों से निर्मित लाल घंटाघर पर आजादी के एक दिन पहले की रात को स्वामी गोपालदास, चंदलमल बहड़ और अन्य ने झण्डारोहणकिया था। करौली के लाल पत्थरों से बनाएगए घंटाघर पर एक नामचीन उद्योगपति घड़ी लगवाना चाहते थे। लेकिन किन्ही कारणों से घड़ी नहीं लग पाई। इससे यह स्मारक बिना घड़ी का ही रह गया। बाद में इसे धर्मस्तूप नाम दिया गया। लेकिन लोग इसे लाल घंटाघर के नाम से ही जानते हैं। इससे वर्तमान में दयनीय स्थिति होती जा रही है। धर्मस्तूप का लोहे का दरवाजा टूट गया। वहीं इसके छज्जे ूटूट कर गिर रहे हैं। बारिश के पानी के कारण धर्मस्तूप के पत्थरों पर कई स्थानों पर सफेद धब्बे हो गए हैं। वहीं इसकी सीढिय़ों पर दरार आ गई। भीतर की तरह चारों और बनाया गया चबूतरा कुछ स्थानों से टूटने लगा है।
शहर का यह स्मारक पर पोस्टरों से अटा पड़ा है। चारों ओर अपने प्रचार-प्रसार के लिए लोगों ने बैनर और पोस्टर लगा रखे हैं। इससे इसका महत्व और गरिमा खोती जा रही है। स्मारक के भीतर झाडिय़ां और कचरे ढेर पड़े हैं। यहां साफ-सफाई नहीं होती। प्रशासन चाहे तो इसके भीतर का सौन्दर्यकरण और करा सकता है। इसकी लोहे की जाली भी टूट गई है। यहां लगी हाईमास्ट लाइट के खम्भे को भी लोगों ने इश्तहार लगाने से नहीं छोड़ा उसका भी उपयोग रस्सी बांधने के लिए किया जा रहा है। चारों और पोस्टर से विज्ञापन करने की होड़ इस चौराहे पर साफ दिखती है। क्योंकि शहर का काफी व्यस्त चौराहा होने के कारण काफी संख्या में लोग यहां से निकलते हैं।
नगर परिषद के ठीक सामने शहीद सर्किल की पत्थर की जाल टूटी पड़ी है। इससे लोगों ने उठाकर भीतर रख दिया। वहीं लोहे का गेट लोग चुरा ले गए। वहां रहने वाले ओमप्रकाश शर्मा ने बताया कि यहां 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान शहीद नायक डालू सिंह राठौड़ की स्मृति में यहां एक चबूतरा बनाया गया था। इस युद्ध में 11 सितंबर 1965 को नायक डालू सिंह राठौड़ असल उतर (खेमकरण सेक्टर) में वीर गति को प्राप्त हुए थे। शहीद नायक डालू सिंह राठौड़ को सैन्य सेवा मैडल से सम्मानित किया गया था। यहां 15-20 पहले यहां मूर्ति की स्थापना की गई। देखरेख और उदासीनता के चलते आज यह स्मारक बदहाल होता जा रहा है। यहां साफ-सफाई नहीं होने से कचरा भरा रहता है।
शहर में कलक्ट्री सर्किल के नाम से जाना जाने वाला स्मारक (अम्बेडकर सर्किल) के भीतर झाड़ झंखाड़ ने अपना स्थान बना लिया है। साफ सफाई और देखभाल नहीं होने से भीतर लगा फव्वारा भी खराब पड़ा है। इसके चारों और लोगों ने बैनर और पोस्टर लगा दिए हैं। इससे इसकी भव्यता को नुकसान हो रहा है।
नगर परिषद सभापति पायल सैनी ने बताया कि लाल घंटाघर के नवीनीकरण के लिए एस्टीमेट बनाकर बर्क ऑर्डर जारी कर दिया गया है। इसके तहत करीब 6 -7 लाख रुपए स्वीकृत किए गए हैं। इसमें रंग-रोगन, फ्लोरिंग, गेट व मरम्मत आदि कार्य किए जाएंगे। इसके अलावा शहर में अन्य स्मारकों का सर्वे के बाद नवीनीकरण कराया जाएगा। जहां भी बैनर और पोस्टर लगे हैं, उन्हें हटवाया जाएगा।