राजस्थान पत्रिका के अमृतं-जलम् अभियान के अन्तर्गत रविवार को अंबेडकर सर्किल स्थित सर्वोदय पब्लिक स्कूल में जल-सरंक्षण विषय पर विचार गोष्ठी हुई। संस्थान के निदेशक अशोक पूनिया ने इसे जनहित में सामाजिक सरोकारों से जुड़ा हुआ अभियान बताया और कहा कि आज यदि जल बचाएंगे तो आने वाला कल सुखद होगा। उन्होंने कहा कि पत्रिका एक समाचार-पत्र ही नहीं यह एक जन आन्दोलन है जो जनहित के मसलों को उठाया तथा सरकार व प्रशासन को चेताया। उन्होंने पानी को संरक्षित कर पर्यावरण संरक्षण पर बल दिया। अध्यक्षता कर रहे संरक्षक बलवीरसिंह पूनिया ने कहा कि पीने योग्य जल की एक-एक बूंद को बचाकर आने वाली पीढिय़ों के लिए यह प्राकृतिक उपहार हमें देना ही होगा। उन्होंने मकान बनाते समय घरों एवं खेतों में कुंड बनाकर बारिश के पानी को संरक्षित करने पर जोर दिया। समाजसेवी कमलसिंह सेठिया ने पत्रिका के विभिन्न अभियानों की जानकारी दी।
शिक्षक नेता मनोज पूनिया ने गांव व शहर में बने परंपरागत जोहड़ की सफाई पर बल दिया। राजेन्द्र सिंह, सूबेसिंह, होशियारमल, मनोज, राजकुमार, रमेश शर्मा, अनिता सिहाग, हरपालसिंह, पाल सिंह, संजय पूनिया, हेतराम, हरलाल, रामकुमार, कृष्ण शर्मा, रणवीर, कैलाशचंद्र, पवन राठौड़, ताराचंद, राजेश, जयकिशन, महेन्द्र आदि ने सुझाव दिए। संस्था के संरक्षक पूनिया ने बारिश के पानी को संरक्षित करने एवं पानी का सदुपयोग करने की शपथ भी दिलाई।
जोहड़ की सफाई में उत्साह से किया श्रमदान सुजानगढ़. राजस्थान पत्रिका के अमृतं जलम् अभियान के तहत मरुदेश संस्थान के सहयोग से चल रहा मांडेता जोहड़ व बावड़ी के जीर्णोद्धार का काम रविवार को भी जारी रहा। दिनोदिन जोहड़ का स्वरूप निखर रहा है। शनिवार शाम को हुई मामूली बरसात से जोहड़ व बाहरी पायतन का नजारा कुछ बदला-बदला सा नजर आया। रविवार को दो छात्राओं मर्यादा व नेहा चौधरी ने जोहड़ व बाहरी पायतन से सावन की डोकरी को एकत्रित किया। श्रमदानियों ने मिट्टी की खुदाई कर दीवार के पास बने खड्डों में भरी। इस मौके पर पीथाराम ज्यानी, गोपालकृष्ण धाभाई, दीपेंद्र धाभाई, पूनम चंद, रामलाल पंवार, हनुमानाराम, पार्षद श्यामलाल गोयल, पार्षद श्रीराम भामा, प्रयास पंवार, डा. घनश्यामनाथ कच्छावा, नीलकमल, किशोर सेन, कर्तव्यनाथ कच्छावा, मर्यादा कच्छावा, नेहा चौधरी, अमरचंद चौधरी, कृष्णादेवी, नेमीचन्द मेघवाल, गिरधारीलाल बुगालिया, लक्ष्मीपत प्रजापत, रूपाराम, डूंगरमल व ज्योति कच्छावा ने श्रमदान किया।