जयपुर। राज्य में विरासत हैरिटेज संरक्षण के साथ स्वच्छता पर भी फोकस होगा। इसके लिए 40 शहरों में राज्यस्तरीय हैरिटेज प्रोग्राम शुरू किया जा रहा है। ऐसे हर निकाय में हैरिटेज सेल का गठन होगा, जिससे विरासत संरक्षण को पूरी तरह सहेजा जा सके। चिन्हित शहरों को हैरिटेज सिटी के रूप में पहचान मिलेगी। स्वच्छता के तहत सीवरेज निस्तारण के लिए सेप्टेज मैनेजमेंट लागू किया जाएगा।
इसका उपयोग पहले उन 100 छोटे शहरों में होगा, जहां सीवर लाइन नहीं पहुंच पाई है। इस तकनीक में साइंटिफिक सेफ्टी टैंक में मल एकत्रित होगा, जिसे वाहन के जरिए ट्रीमेंट प्लांट तक पहुंचाया जाएगा। राजस्थान स्टेट हैरिटेज प्रोग्राम व स्वच्छ भारत मिशन के अन्तर्गत सेप्टेज मैनेजमेंट पर शुक्रवार को ओटीएस में कार्यशाला हुई, जिसमें विरासत संरक्षण व स्वच्छता पर मंथन हुआ।
हरिश्चन्द माथुर राजस्थान राज्य लोक प्रशासन संस्थान में अरबन डवलपमेंट सेंटर की स्थापना होगी। इस पर करीब 10 करोड़ लागत आएगी। इसके जरिए ऐतिहासिक फसाडों, हवेलियों, मन्दिरों एवं अन्य ऐतिहासिक मान्यूमेंट्स का संरक्षण होगा। हैरिटेज वॉक-वे का निर्माण किया जाएगा। कार्यशाला में सिटी एलायंस की टीम प्रमुख मधुरिमा वाघमरे, द्रोणा की निदेशक शिखा जैन, राष्ट्रीय नगर कार्य संस्थान सेनिटेशन प्रोग्राम के टीम प्रमुख दीपेन्द्र कपूर, अहमदाबाद विवि के निदेशक देबाशीष नायक सहित अन्य संस्थानों के प्रतिनिधि शामिल हुए।
सेप्टेज प्रबंधन नीति पर काम- जनस्वास्थ्य की बेहतर स्थिति बनाने और भूगर्भीय अन्य जल स्रोतों का प्रदूषण कम करने के उद्देश्य से सेप्टेज प्रबंधन नीति पर काम हो रहा है। इससे अपार्टमेंट, मॉल, बड़े होटल और हॉस्पिटल को भी जोडऩे के लिए प्रेरित किया जाएगा। जहां सेप्टिक टेंक से मल गाद का रिसाव होता है, वहां सेप्टेज उपचार प्लांट लगाने का सुझाव दिया गया है।