पक्की नौकरी के लिए जंगल के रक्षक भूख हड़ताल पर
कोयंबटूरPublished: Jul 20, 2019 12:17:46 pm
जंगल और वन्य जीवों की रक्षा करने वाले एंटी-वॉचिंग वॉचर्स शुक्रवार को अपनी मागों के लेकर भूख हड़ताल पर रहे।
पक्की नौकरी के लिए जंगल के रक्षक भूख हड़ताल पर
कोयम्बत्तूर. जंगल और वन्य जीवों forest and wild animals की रक्षा करने वाले एंटी-वॉचिंग वॉचर्स anti watchers शुक्रवार को अपनी मागों के लेकर भूख हड़ताल पर रहे। शहर के टाटाबाद में एकत्रित हुए वॉचर्स ने अपनी उपेक्षा पर विरोध जताया। उन्होंने कहा कि यदि उनकी मागें पूरी नहीं की गईतो वे काम का बहिष्कार जारी रखेंगे।
सूत्रों ने बताया कि वन विभाग में करीब 1119 वॉचर हैं , इनमें से 500 ने कोयम्बत्तूर में भूख हड़ताल की। बाकी ने अपने जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन किया।
प्रदर्शनकारियों ने बताया कि राज्य सरकार उनके साथ सौतेला व्यवहार कर रही है।दो दशक की सेवा के बाद भी वे अस्थायी कर्मचारी है। अगर सरकार उन्हें वन चौकीदार के रूप में समायोजित कर लें तो वे स्थायी हो सकते हैं। काफी सालों से इसी उम्मीद में थे। पर अब वन चौकीदारों के पदों के लिए लिखित परीक्षा अनिवार्य कर दी गई है। इससे उनके स्थायी होने की संभावनाएं धूमिल हो गई है। आंदोलन कारियों ने बताया कि 20 साल से घने जंगल में पूरे मनोयोग से सेवाएं दे रहे हैं।
जब भी आबादी में हाथी आते हैं।वे ही खतरा मोल लेते हुए हाथी व अन्य जंगली जानवरों को जंगल की ओर खदेड़ते हैं। ड्यूटी के दौरान हर वक्त उनकी जान जोखिम में रहती है। हमारी सेवाओं को देखते हुए राज्य सरकार को वन चौकीदार के रूप में स्थायी करना चाहिए पर हमारे साथ धोखा किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि सामाजिक वानिकी क्षेत्र में काम करने वाले वाचर्स को तो स्थायी कर दिया गया है। पर जो लोग जंगल में ड्यूटी करते हैं, उन्हें मौका नहीं दिया जा रहा। एक वॉचर्स ने बताया कि वन्यजीव और अन्य अनुभागों में काम करने वाले 1119 वॉचर्स में से १४४ को ही स्थायी नौकरी की पेशकश की गई है।
उन्होंने बताया कि 20 से अधिक वर्षों से अल्पवेतन पर विभाग की सेवा कर रहे हैं। उन्हें समय पर वेतन तक नहीं दिया जाता। उन्होंने आरोप लगाया कि वन अधिकारियों के दबाव के कारण रैपिड रिस्पांस टीम के सदस्यों ने प्रदर्शन में भाग नहीं लिया।