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तीन दिन बाद होनी थी फांसी, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

locationकोयंबटूरPublished: Sep 17, 2019 04:37:10 pm

Coimbatore Sibling Murder case : राजस्थान मूल के दो बच्चों के अपरहण, बलात्कार और हत्या का मामला

Supreme Court of india

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कोयम्बत्तूर. उच्चतम न्यायालय Supreme Court ने मंगलवार को Coimbatore Sibling Murder case नाबालिग भाई-बहन की हत्या के मामले में एकमात्र जीवित अभियुक्त की फांसी की सजा death sentence पर 16 अक्टूबर तक रोक लगा दी। भाई-बहन के अपहरण, दुष्कर्म और नृशंस हत्या के मामले में शीर्ष अदालत के पिछले महीने मौत की सजा की पुष्टि किए जाने के बाद 20 सितम्बर को अभियुक्त मनोहरन Manoharan को फांसी दी जानी थी। दोनों बच्चे राजस्थान Rajasthan मूल के एक कारोबारी परिवार से थे।
न्यायाधीश आर. एफ. नरीमन की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की तीन जजों की पीठ ने मंगलवार को फांसी की सजा की पुष्टि करने वाले अदालत के फैसले पर पुनर्विचार के लिए अभियुक्त की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान 20 सितम्बर को दी जाने वाली फांसी की सजा पर रोक लगा दी। एक अगस्त को शीर्ष अदालत ने 2-1 के बहुमत से दिए गए फैसले में अभियुक्त की याचिका को खारिज करते हुए मौत की सजा की पुष्टि की थी। शीर्ष अदालत के फैसले के बाद मनोहरन की फांसी के सजा पर अमल के लिए 20 सितम्बर की तारीख निचली अदालत ने मुकर्रर की थी।
न्यायाधीश नरीमन, संजीव खन्ना और सूर्यकांत ने अभियुक्त के वकील की याचिका पर बहस से पहले ट्रायल कोर्ट में रखे मामले से जुड़े अभिलेखों के निरीक्षण के लिए समय की मांग करने के बाद याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी। पीठ ने कहा कि वे याची के वकील को इस मामले में बहस करने के लिए १६ अक्टूबर को आखिरी मौका दे रहे हैं क्योंकि यह मौत की सजा से जुड़ा मामला है। इससे पहले अभियुक्त की ओर से पेश हुई अधिवक्ता ने कहा कि इस मामले में सात बार वकील बदले गए जिसके कारण मनोहरन का पक्ष ट्रायल कोर्ट से शीर्ष अदालत तक सही तरीके से नहीं रखा गया।
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ये है मामला
इन तीनों जजों की पीठ ने ही एक अगस्त को मनोहरन की याचिका खारिज करते हुए मौत की सजा बरकरार रखी थी। हालांकि, न्यायाधीश रोहिंग्टन, न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायाधीश सूर्यकांत अभियुक्त को अपहरण, सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के मामले में दोषी ठहराए जाने पर एकमत थे लेकिन न्यायाधीश खन्ना की राय मृत्युदंड capital punishment के मसले पर बाकी दोनों जजों से अलग थी।
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गौरतलब है कि कथित तौर पर फिरौती के लिए कॉल टैक्सी Taxi चालक ने अपने एक मित्र के साथ मिलकर कपड़ा कारोबारी textile merchant की 10 साल की बेटी और 7 साल के बेटे का अपहरण घर के पास से कर लिया था। बाद में दोनों का शव पोल्लाची pollachi के उदमुलपेट के पास मिला था। पुलिस ने अपहर्ता कैब चालक Cab मोहनकृष्ण्न और उसके सहयोगी मनोहरन को दो दिन बाद गिरफ्तार कर लिया था। वारदात के समय दोनों अपराधियों की उम्र 23-25 साल थी। गिरफ्तारी के कुछ दिन बाद पुलिस हिरासत से भागने की कोशिश के दौरान मोहनकृष्ण मारा गया था। घटना के करीब दो साल बाद 1 नवम्बर 2012 को कोयम्बत्तूर Coimbatore महिला अदालत mahila court ने मामले के एकमात्र जीवित आरोपी मनोहरन को पांच आरोपों में दोषी करार देते हुए दोहरे मृत्युदंड की सजा सुनाई थी। साथ ही सबूतों को मिटाने की कोशिश के आरोप में तीन साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई थी। आरोपी ने कोयम्बत्तूर ( Tamil Nadu ) अदालत के फैसले को पहले मद्रास उच्च न्यायालय Madras High Court और बाद में उच्चतम न्यायानलय में चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने भी निचली अदालत Trial court के फैसले को बरकरार रखा था।

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