जब तक यूरोप, अमरीका में हालात ठीक नहीं होते , तब तक इकाइयों को बडे ऑर्डर नहीं मिलेंगे। सूत्रों ने कहा कि कम से कम छह महीने तक तो आर्डर कम मिलेंगे अमरीका और अधिकंाश यूरोपीय देश खुद कोरोना संकट से जूझ रहे हैं। लॉकडाउन के कारण करीब 2,400 करोड़ रुपए के आर्डर रद्द हो गए। गर्मी का सीजन बरबाद हो चुका है। एक अन्य व्यापारी ने बताया कि यह नुकसान के बारे में चिंता करने का समय नहीं है। अब बड़ी चुनौती व्यवसाय और खुद को जीवित रखने की हैं। बाज़ार में बने रहने के लिए बहुत कुछ है।
वियतनाम और बांग्लादेश जैसे देशों से कड़ी प्रतिस्पर्धा है जिन्होंने महामारी के बावजूद उत्पादन शुरू कर दिया है। तिरुपुर के लिए अवसर है। कई देश चीन से माल मंगवाना बंद कर रहे हैं। वे अब भारत का रूख करेंगे इसके अलावा कोरोना के कारण अस्पतालों में काम आने वाले किट व अन्य वों की मांग बढ़ी है। दूसरे देशों के अलावा भारत में अस्पतालों के लिए किट चाहिए। व्यवसायी जगन्नाथ बोथरा ने बताया कि चीन से नाराज देशों में अधिकांश भारत तो वरीयता दे सकते हैं। दूसरे हमें अस्पतालों और चिकित्सा विज्ञान में काम आने वाले किट , मास्क, गल्व्ज व अन्य उपयोगी वस्त्र बनाएंगे। इससे तिरुपुर का हॉजरी व्यवसाय गति पकड़ेगा।