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महंगा हुआ सीमेंट, निर्माण क्षेत्र पर असर

locationकोयंबटूरPublished: Jun 01, 2019 01:01:01 pm

सीमेंट की कीमत में हुई वृद्धि के कारण जिले में निर्माण कार्य प्रभावित हो रहे हैं। सीमेंट महंगा होने का असर सरकारी निर्माण कार्यों पर भी पड़ रहा हे।

The India Cement will set up a cement factory in Khandwa

The India Cement will set up a cement factory in Khandwa

कोयम्बत्तूर. सीमेंट की कीमत में हुई वृद्धि के कारण जिले में निर्माण कार्य प्रभावित हो रहे हैं। सीमेंट महंगा होने का असर सरकारी निर्माण कार्यों पर भी पड़ रहा हे। भवन निर्माण कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है कि दो महीने पहले सीमेंट की कीमत करीब ५० फीसदी तक बढ़ी थी। हालांकि, फिलहाल यह स्थिर है। लेकिन, सीमेंट महंगा होने जाने के कारण निर्माण कार्यों की गति पर असर पड़ा है।
बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के स्थानीय इकाई के प्रमुख वी शिवराजन की मानें तो दो महीने ५० किलो वजन वाले सीमेंट के थैले की कीमत 270 रुपए थी जो अब400 रुपए हो चुकी है। दो महीने से यही भाव बना हुआ है लेकिन इस कीमत वृद्धि के कारण शहर में 25 -30 फीसदी निर्माण कार्य प्रभावित हुए हैं।
निर्माण उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि छोटे स्तर के निर्माण कार्य पहले की तरह चल रहे हैं लेकिन बड़ी निर्माण योजनाओं पर सीमेंट की कीमत में वृद्धि का असर पड़ा है। इन योजनाओं पर काम धीमी गति से चल रहा है। भवन निर्माण कारोबारियों का कहना है कि एक वर्ग फीट निर्माण की लागत करीब १५०० रुपए होती है। इसमें १० फीसदी तक वृद्धि को झेला जा सकता है लेकिन इससे ज्यादा वृद्धि होने पर लागत बढऩे के कारण ग्राहकों पर बोझ डालने के अलावा निर्माता या ठेकेदार के पास कोई विकल्प नहीं बचता है। कारोबारियों का कहना है कि राज्य में नई भवन निर्माण योजनओं को मंजूरी मिलने में करीब एक वर्ष का वक्त लग जाता है और इस दौरान कई निर्माण सामग्रियों की लागत बढ़ जाती है। ऐसे में सीमेंट की कीमत में वृद्धि से निर्माण उद्योग प्रभावित होता है। जानकारों का कहना है महंगे सीमेंट के कारण कई निर्माताओं ने निर्माण कार्य की रफ्तार धीमी कर दी है अथवा परियोजना को बीच में ही बेच दिया। भवन निर्माताओं का कहना है कि वे दस दिन के लिए सीमेंट का भंडार रखते हैं लेकिन अचानक सीमेंट के भाव में वृद्धि के कारण काम प्रभावित होता है।
भवन निर्माता की मांग है कि राज्य व केंद्र सरकार सीमेंट के कीमतों को नियंत्रित करने के लिए व्यवस्था करे। कोयम्बत्तूर बिल्डर्स एंड कांट्रेक्टर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष सी टी नारायणन ने कहा कि हर साल फरवरी-मार्च में सीमेंट की कीमत बढ़ जाती है और जुलाई तक फिर कीमत घटती है। इस दो-तीन महीने के दौरान थोड़ी दिक्कत होती है। इस बार इस सीमेंट की कीमत थोक बाजार में ३६० रुपए थैली तक गई और अभी करीब 330_340 रुपए के बीच स्थिर बनी हुई है। नारायणन ने कहा कि छोटे स्तर के निर्माण कार्य इससे ज्यादा प्रभावित नहीं होते लेकिन बड़े स्तर के कार्यों पर थोड़ा असर पड़ता है।
केंद्र व राज्य के कामों पर भी असर
केंद्र व राज्य सरकार के विभिन्न निकायों, विभागों व उपक्रमों के लिए होने वाले निर्माण कार्यों पर भी सीमेंट की बढ़ी हुई कीमत का असर पड़ा है। केंद्र व राज्य सरकार के निर्माण कार्यों का ठेका लेने वाले ठेकेदारों का कहना है कि सीमेंट की कीमत में वृद्धि का सीधा असर लागत पर पड़ता है।
ठेकेदारों का कहना है कि हम ज्यादा लागत की मांग भी नहीं कर सकते क्योंकि नियमों के मुताबिक यह केंद्र सरकार की ओर से तैयार सूचकांक के मुताबिक तय होता है और इसमें सीमेंट की कीमत में वृद्धि नहीं की गई है। ऐसे में ठेकेदारों के लिए पूर्व निधार्रित राशि में काम करना मुश्किल हो जाता है और इसी कारण कई परियोजनाओं में निर्माण की गति धीमी हो जाती है। हालांकि, एक सरकारी उपक्रम के अधिकारी ने कहा कि ठेकेदारों के पास निर्माण कार्य पूरी करने के बाद कीमत में अंतर को लेकर भुगतान के लिए दावा करने का विकल्प होता है। जानकारों का कहना है कि सीमेंट की कीमत में वृद्धि के कारण रेडीमेड कंक्रीट, क्रकंीट ब्लॉक गृह निर्माण में इस्तेमाल होने वाले अन्य उत्पादों की कीमत भी बढ़ जाती है।

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