अभी बड़ी संख्या में मौजूद प्रवासी कामगार
प्रवासी कामगारों के मुद्दे पर उद्यमियों का कहना है कि यहां देश के विभिन्न राज्यों के ढाई लाख कामगार रोजगार पाते हैं। हालांकि पिछले दिनों बड़ी संख्या में वे अपने घरों को लौट गएपर अभी भी बहुत से कामगार यहीं हैं। फिलहाल लॉकडाउन के कारण उत्पादन ठप है। कामगार हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। जहां तक इनके खाने -रहने की सुविधा का ध्यान रखने की बात है। कुछ कम्पनियों के पास रहने की सुविधा है। ऐसी फैक्ट्रियों में प्रवासी श्रमिकों का ध्यान रखा जाएगा, लेकिन अधिकांश कामगार ठेकेदारों के माध्यम से रोजगार के लिए आते हैं। चूंकि वे ठेके पर काम करते हैं। इसलिए अक्सर फैक्ट्रियां बदलते रहते हैं। ज्यादा से ज्यादा एक कामगार एक फैक्ट्री में तीन से चार माह ही काम कर पाता है। इसलिए फैक्ट्री प्रबंधन भी ठेका कामगारों के प्रति जिम्मेदारी महसूस नहीं करते ।
प्रवासी कामगारों के मुद्दे पर उद्यमियों का कहना है कि यहां देश के विभिन्न राज्यों के ढाई लाख कामगार रोजगार पाते हैं। हालांकि पिछले दिनों बड़ी संख्या में वे अपने घरों को लौट गएपर अभी भी बहुत से कामगार यहीं हैं। फिलहाल लॉकडाउन के कारण उत्पादन ठप है। कामगार हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। जहां तक इनके खाने -रहने की सुविधा का ध्यान रखने की बात है। कुछ कम्पनियों के पास रहने की सुविधा है। ऐसी फैक्ट्रियों में प्रवासी श्रमिकों का ध्यान रखा जाएगा, लेकिन अधिकांश कामगार ठेकेदारों के माध्यम से रोजगार के लिए आते हैं। चूंकि वे ठेके पर काम करते हैं। इसलिए अक्सर फैक्ट्रियां बदलते रहते हैं। ज्यादा से ज्यादा एक कामगार एक फैक्ट्री में तीन से चार माह ही काम कर पाता है। इसलिए फैक्ट्री प्रबंधन भी ठेका कामगारों के प्रति जिम्मेदारी महसूस नहीं करते ।