सपना स्मार्ट सिटी का, सड़कों पर बह रहा बारिश का पानी, जानिए कारण
कोयंबटूरPublished: Jun 12, 2019 05:56:18 pm
मानसून सिर पर है और शहर के नाले कूड़े से अटे पड़े हैं।हल्की बारिश का दौर है। नाले जाम है पर इनकी सफाई की कोई कवायद नहीं नजर आती। मामूली बारिश के बाद भी सड़कों पर पानी जमा हो जाता है।
सपना स्मार्ट सिटी का, सड़कों पर बह रहा बारिश का पानी, जानिए कारण
कोयम्बत्तूर. मानसून सिर पर है और शहर के नाले कूड़े से अटे पड़े हैं।हल्की बारिश का दौर है। नाले जाम है पर इनकी सफाई की कोई कवायद नहीं नजर आती। मामूली बारिश के बाद भी सड़कों पर पानी जमा हो जाता है। गनीमत है कि यहां बरसात के बाद प्राय: मौसम खुल जाता है। धूप भी निकल जाती है। इसलिए एक -दो दिन में पानी अपने आप ही सूख जाता है। पानी भले ही सूख जाता है पर नालों में गंदगी सड़ती रहती है। मच्छर बढ़ जाते हैं। कई इलाकों में तो मच्छर दिन में भी चैन नहीं लेने देते।
निगम की कार्य प्रणाली पर तंज कसते हुए प्रवासी संजय सिंह ने कहा कि नगर निगम शायद अपने पुराने अनुभवों के कारण निश्ंिचत है । कोयम्बत्तूर में पिछले वर्षों की भांति इस साल भी छिटपुट बरसात ही होनी है फिर नालों को साफ करने की जहमत क्यों उठाई जाए। अगर तेज बरसात आ भी गई तो बारिश का पानी खुद ही नालों को साफ कर देगा। गुजराती सदन इलाके के शंभू सिंह ने कहा निगम पहले मौसम की भविष्यवाणी का इंतजार करता है। इस बार औसत बरसात की संभावना जताई गई थी। इसलिए नालों को कौन सफाई कराए पर वर्षों से जाम नाले गले तक कूड़े से अटे हैं। जबकि नालों की तो समय-समय पर सफाई होनी ही चाहिए। मेट्टूपालयम रोड निवासी प्रभाकरण ने बताया कि शहर की जल निकास व्यवस्था किसी से छिपी नहीं। हल्की बरसात में ही सीवर लाइन उफनने लग जाती है। नाले तो कूड़ेदान बने हुए हैं। पूरी जल निकास व्यवस्था भगवान भरोसे हैं। शहर के कई इलाकों में हल्की बरसात के बाद पानी मकानों में घुस जाता। इसकी वजह मकानों के निचले इलाकों में होना नहीं है। बल्कि सड़क पर साल-दर -साल चढ़ाई गई डामर की परत है। विश्वनाथन ने कहा कि मेट्टूपालयम रोड से सटी वैंकटेश्वरन स्ट्रीट में तीन- चार दशक पहले बने मकान सड़क से नीचे हो गए हैं। यहां लोगों को मकानों में पानी भरने से रोकने के लिए कई बार रेत से भरे कट्टे लगाने पड़ते हैं। जबकि इंडियन रोड मेन्यूअल के अनुसार सड़क का यदि नवीनीकरण करना है तो पहले पुरानी सड़क को उखाडऩा होगा। पर शायद ही इसका पालन किया जाता है।