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उपजाऊ मिट्टी स्वस्थ रहने का आधार

locationकोयंबटूरPublished: Jun 08, 2020 12:26:13 pm

Submitted by:

Dilip Dilip Sharma

ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरू ने कहा कि यदि किसी स्थान की मिट्टी कमजोर है तो वहां के लोग भी कमजोर होंगे। भारत की नदियों को पुनर्जीवित करने, मिट्टी के रेत बनने की समस्या, पानी की कमी, कूड़ा प्रबंधन और पर्यावरण संबंधी समस्याओं को सुलझाने के विषय पर बोल रहे थे।

उपजाऊ मिट्टी स्वस्थ रहने का आधार

उपजाऊ मिट्टी स्वस्थ रहने का आधार

कोयम्बत्तूर. ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरू ने कहा कि यदि किसी स्थान की मिट्टी कमजोर है तो वहां के लोग भी कमजोर होंगे। भारत की नदियों को पुनर्जीवित करने, मिट्टी के रेत बनने की समस्या, पानी की कमी, कूड़ा प्रबंधन और पर्यावरण संबंधी समस्याओं को सुलझाने के विषय पर बोल रहे थे। मौका विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में हुए संवाद कार्यक्रम मेंसद्गुरूर ने जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत के साथ विचार साझा किए। केंद्रीय मंत्री शेखावत ने बदलाव को लेकर प्रश्न किया। सद्गुरू ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को 10 प्रतिशत जमीन पर पेड़ उगाने चाहिए। उसके बिना वे अपनी मिट्टी को नहीं बचा सकते, मिट्टी को उपजाऊ रखे बिना आप जल का संरक्षण नहीं कर सकते। धरती पर जल का सबसे बड़ा संग्रहकर्ता मिट्टी है, 39 इंच ऊपरी मिट्टी हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। कीड़े-मकोड़ों से लेकर इंसानों तक सारी जीवन प्रक्रिया इस ऊपरी मिट्टी के कारण ही बची हुई है। उन्होंने कहा कि शहर के आस-पास सब्जियां और फल उगाने के लिए अच्छा होगा। प्रकृति ऐसी बनाई कि जो हमारे लिए कचरा है, वह किसी और का भोजन है। जिसे आप गंदा पानी समझते हैं, वह पौधों के लिए पोषणदायी जल है।Ó कार्यक्रम में शेखावत से सरकार की हर घर जल की पहल निजी एजेंसियों के लिए होने के सवाल पर मंत्री ने बताया कि चूंकि जल संविधान के अंतर्गत राज्य का विषय है, इसलिए यह परियोजना राज्यों द्वारा लागू की जा रही है परंतु सरकार को निजी भागीदारी पर कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने कहा कि एक पीढ़ी के रूप में सभी की जिम्मेदारी है कि हम इस कीमती भूमि, जो जैविक रूप से सबसे समृद्ध भूमि में से एक रही है, को मरुस्थल में न बदलने दें।

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