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पहली बार द्रविड़ दलों में कांटे की टक्कर, आसन नहीं राह

locationकोयंबटूरPublished: May 18, 2019 02:01:16 pm

विधानसभा उपचुनावों के नतीजे न सिर्फ उम्मीदवारों का भविष्य तय करेंगे बल्कि राज्य के सत्ता समीकरण पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा।

EVM machines used in assembly elections will be used in Lok Sabha elec

EVM machines used in assembly elections will be used in Lok Sabha elec

कोयम्बत्तूर. विधानसभा उपचुनावों के नतीजे न सिर्फ उम्मीदवारों का भविष्य तय करेंगे बल्कि राज्य के सत्ता समीकरण पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा। कोंगू क्षेत्र में आने वाले शहर से सटे सुलूर विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में मुकाबला चतुष्कोणीय है।
सुलूर को एआईएडीएमके का मजबूत गढ़ माना जाता है लेकिन उपचुनाव में पार्टी को अपने इस किले को बचाने के लिए विपक्ष की कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। सुलूर में उपचुनाव विधायक आर. कनगराज के निधन के कारण हो रहा है। एआईएडीएमके के कनगराज ने २०१६ के विधानसभा चुनाव में सुलूर से जीते थे। कनगराज ने कांग्रेस के उम्मीदवार को ३६ हजार मतों से हराया था। मार्च में कनगराज के निधन के कारण यहां उपचुनाव हो रहा है। हालांकि, तीन साल में क्षेत्र का राजनीतिक परिदृश्य बदल चुका है। कांग्रेस अब डीएमके गठबंधन में शामिल है तो एआईएडीएमके भी भाजपा के साथ गठजोड़ कर चुकी है। इस बार सीधा मुकाबला एआईएडीएमके और डीएमके के बीच है। हालांकि, टीटीवी दिनकरन की पार्टी एएमएमके और अभिनेता कमल हासन की पार्टी मक्कल नीदि मय्यम ने मुकाबले को चतुष्कोणीय बनाने की पूरी कोशिश कर रही है।
एआईएडीएमके की उम्मीदें सहानुभूति पर टिकी है तो डीएमके राज्य सरकार की विफलताओं को भुनाने की कोशिश कर रही है। एआईएडीएमके ने सहानुभूति को भुनाने के लिए कनगराज के भाई वी पी कंदस्वामी को मैदान में उतारा है तो डीएमके ने एआईएडीएमके को मात देने के लिए पूर्व मंत्री और वरिष्ठ नेता पोंगलूरु पलनीस्वामी को उतारा है।
सुलूर विधानसभा क्षेत्र में पहली बार दोनों द्रविड़ दलों के बीच आमने-सामने की टक्कर है। सुलूर विधानसभा क्षेत्र वर्ष १९५२ में हुए पहले चुनाव के बाद ही अस्तित्व में आ गया था लेकिन १९६७ में हुए परिसीमन के बाद इस सीट का अस्तित्व नहीं रहा। वर्ष २००८ में नए परिसीमन के बाद यह सीट फिर से अस्तित्व में आई। वर्ष २०११ में हुए विधानसभा चुनाव में डीएमडीके उम्मीदवार ने के. तिनकरन ने जीत दर्ज की थी। तब डीएमडीके को एआईएडीएमके का समर्थन हासिल था लेकिन पांच साल के बाद बदले राजनीतिक हालात में दोनों पार्टियों के रास्ते अलग हो गए। वर्ष २०१६ के चुनाव में एआईएडीएमके के कनगराज यहां से जीते जबकि तिनकरन को चौथे स्थान पर संतोष करना पड़ा।
कोयम्बत्तूर से सटे होने के बावजूद इस अद्र्धशहरी क्षेत्र में कई तरह की समस्याएं हैं। इस इलाके में कभी पावलूम आजीविका का मुख्य आधार था लेकिन कालांतर में इनकी स्थिति काफी खराब हो गई। इसके अलावा जल संकट लोगों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। इसके अलावा लोगों में शराब की दुकानों और हाई वोल्टेज लाइन बिछाने के खिलाफ भी नाराजगी है। चुनाव प्रचार के दौरान सभी दलों के नेताओं ने समस्याओं को दूर करने का वादा किया है लेकिन चुनाव में सभी दलों की उम्मीदें राजनीतिक समीकरणों पर टिकी हैं।
फैक्ट फाइल

22
उम्मीदवार मैदान में
2,95,158
मतदाता
1.45.397
पुरुष मतदाता
1.49.743
महिला मतदाता
18
अन्य मतदाता
75 %
मतदान 2016 में

2016 विस चुनाव

आर कनगराज, एआईएडीएमके मत 1,००,977 (47.38% )

मनोहरन वीएमसी, कांग्रेस मत 64,346 (30.19%)

मनधारासल्म, भाजपा मत 13,517 (06.34%)
के. तिनाकरन, डीएमडीके मत13,106 (06.15 % )

प्रीमियम सेल्वम, केएमडीके मत 9672 (4.54 % )

एआईएडीएमके और कांग्रेस के बीच सीधे संघर्ष में

6,631 मतों (17.19 %) से एआईएडीएमके विजयी। निवर्तमान विधायक एमडीएमके के तिनाकरन को सिर्फ 6.15% मतों के साथ चौथे स्थान पर रहे थे
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