कोयंबटूर

हाथियों को आबादी से दूर रखने के लिए खोदी खाई

मई की भीषण गर्मी ने जंगली जानवरों की हालत भी पस्त कर दी है। वन क्षेत्र के नदी नाले सूख चुके हैं। वन विभाग जंगल में पानी की व्यवस्था कर नहीं पा रहा है।

कोयंबटूरMay 17, 2019 / 01:43 pm

कुमार जीवेन्द्र झा

हाथियों को आबादी से दूर रखने के लिए खोदी खाई

कोयम्बत्तूर. मई की भीषण गर्मी ने जंगली जानवरों की हालत भी पस्त कर दी है। वन क्षेत्र के नदी नाले सूख चुके हैं। वन विभाग जंगल में पानी की व्यवस्था कर नहीं पा रहा है। इन हालातों में जंगली जानवर भवानी नदी की ओर आते हैं पर यहां पहुंचने के लिए उन्हें गांवों की आबादी को पार करना पड़ता है। इसी वजह से हाथी व मानव के बीच संघर्ष की घटनाएं सामने आ रही है। पिछले एक पखवाड़े में ही हाथी के हमले में दो महिलाओं की मौत हो चुकी है। एक मजदूर को हाथी घायल कर चुका है। तीन घटनाओं में हाथियों ने मकानों को नुकसान पहुंचाया है।
गांव को सुरक्षित
करने की जुगत
केरल से सटा अनाकट्टी इलाका हाथियों का परम्परागत गलियारा है।यहां वन विभाग ने सड़कों पर भी चेतावनी के बोर्ड लगा रखे हैं। यहां हाथियों का आना जाना लगा रहता है। रेंज अधिकारी सुरेश के अनुसार कोयम्बत्तूर रेंज में जंगल से सटे गांवों की सीमा पर सात किलो मीटर से अधिक लम्बाई में खाई खोदी गई है। इस खाई को हाथी व अन्य वन्य जीव पार नहीं कर सकेंगे। इसी तरह पिछेल साल भी पनाप्पल्ली और कांदिवली के पास चार किलोमीटर लम्बी खाई का काम पूरा कर लिया है। अनाकट्टी के पास आश्रम क्षेत्र और कोंडानुर के बीच के क्षेत्र को भी सुरक्षित कर लिया है।
उन्होंने बताया कि विभाग जंगली हाथियों के गांवों में घुसने के रास्तों की पहचान कर रहा है। वहां भी यही तरीका अपनाया जाएगा। हालांकि ग्रामीणों का कहना है कि इससे खास फर्क नहीं पड़ेगा। क्योंकि हाथी दूसरे रास्ते से आएंगे। विभाग खाई खोदना तो जारी रखे, पर मूल वजह पर भी ध्यान दे।गर्मियों में जंगली जानवर पानी की तलाश में आते है। हालांकि वन विभाग का दावा है कि कालीरु प्रोजेक्ट के तहत हाथियों के आवागमन वाले क्षेत्र में बने १०५ वाटर टैंक में सप्ताह में एक बार पानी भरवाया जाता है।
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