सामाजिक कुरीतियों का खंडन
सामाजिक कुरीतियों का खंडन करने के लिए उन्होंने मिशन शक्ति के माध्यम से नारी जाति को आत्म – सम्मान से जीने के लिए जगाया। बालिका शिक्षा के माध्यम से महिला सशक्तिकरण, कन्या भ्रूण हत्या, महिला उत्पीडऩ, दहेज प्रथा,नारी अत्याचारों के खिलाफ सामाजिक जागरुकता पर ध्यान केन्द्रित किया।
बताए आसान सूत्र
गुरूमां ने अपने प्रवचनों में मानव जाति व जगत को अध्यात्म की नवीन परिभाषा से परिचित कराया।आध्यात्मिक अंर्तजगत को सांसारिक बाह्य जगत से जोड़ा है जिससे व्यक्ति उनके बताए सूत्रों को आसानी से ग्रहण कर जीवनोपयोगी, सहज आंदोलनकारी आध्यात्मिक सूत्र व नई चेतना की नींव रख सकता है। प्रवचन में वह विभिन्न संतों के जीवन व संदेशों को उजागर किया है। हिंदू, बौद्ध, सिख, सूफी दर्शन पर उनके प्रवचन सहज ही समझे जा सकते हैं। गुरू मां प्रवचन के दौरान मेवलाना जलालुद्दीन रूमी, बाबा बुल्लेशाह, बाबा फरीद, कबीर, गुरूनानक आदि के काव्यों को संगीत के रूप में प्रस्तुत करती हैं।
सामाजिक कुरीतियों का खंडन करने के लिए उन्होंने मिशन शक्ति के माध्यम से नारी जाति को आत्म – सम्मान से जीने के लिए जगाया। बालिका शिक्षा के माध्यम से महिला सशक्तिकरण, कन्या भ्रूण हत्या, महिला उत्पीडऩ, दहेज प्रथा,नारी अत्याचारों के खिलाफ सामाजिक जागरुकता पर ध्यान केन्द्रित किया।
बताए आसान सूत्र
गुरूमां ने अपने प्रवचनों में मानव जाति व जगत को अध्यात्म की नवीन परिभाषा से परिचित कराया।आध्यात्मिक अंर्तजगत को सांसारिक बाह्य जगत से जोड़ा है जिससे व्यक्ति उनके बताए सूत्रों को आसानी से ग्रहण कर जीवनोपयोगी, सहज आंदोलनकारी आध्यात्मिक सूत्र व नई चेतना की नींव रख सकता है। प्रवचन में वह विभिन्न संतों के जीवन व संदेशों को उजागर किया है। हिंदू, बौद्ध, सिख, सूफी दर्शन पर उनके प्रवचन सहज ही समझे जा सकते हैं। गुरू मां प्रवचन के दौरान मेवलाना जलालुद्दीन रूमी, बाबा बुल्लेशाह, बाबा फरीद, कबीर, गुरूनानक आदि के काव्यों को संगीत के रूप में प्रस्तुत करती हैं।