20 दिन तक रोता रहा नवजात…जब खुला राज तो हैरान रह गए सब
कोयंबटूरPublished: Sep 10, 2019 01:37:28 pm
सरकारी अस्पताल में कर्मचारियों की लापरवाही का एक बड़ा मामला सामने आया है। सिर्फ एक दिन के नवजात शिशु को टीका लगाए जाने के बाद सुई उसके जांघ में ही रह गई। घटना के 20 दिनों के बाद अब मामला सामने आया है।
२० दिन बाद सामने आया मामला
कोयम्बत्तूर. सरकारी अस्पताल में कर्मचारियों की लापरवाही का एक बड़ा मामला सामने आया है। सिर्फ एक दिन के नवजात शिशु को टीका लगाए जाने के बाद सुई उसके जांघ में ही रह गई। घटना के 20 दिनों के बाद अब मामला सामने आया है। नवजात शिशु के माता-पिता ने अस्पताल प्रशासन से टीक लगाने में लापरवाही बरतने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
घटना जिले के मेट्टूपालयम सरकारी अस्पताल की है। मिली जानकारी के मुताबिक 20 अगस्त को एक महिला ने अस्पताल में बच्चे को जन्म दिया। अगले दिन नवजात शिशु को टीका लगाया लेकिन टीके की सुई नवजात शिशु के जांघ में ही फंसी रह गई। टीका लगाने वाले कर्मचारियों ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि शिशु को लगाए गए टीके की सुई (नीडल) का हिस्सा वापस नहीं निकला है। कर्मचारियों की इस लापरवाही के कारण नवजात शिशु करीब २० दिनों तक कष्ट झेलता रहा।
परिवार के सदस्यों के मुताबिक जन्म के अगले दिन चिकित्सक के कहने पर नर्सों ने शिशु के दाएं हाथ और जांघ पर टीका लगाया था। इसी दौरान सुई का हिस्सा जांघ में फंसा रह गया था। टीका लगाने वाले कर्मचारियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया। टीकाकरण के बाद शिशु लगातार रोता रहा लेकिन कर्मचारियों ने शिशु की मां को दिलासा दिया कि दर्द के कारण वह रो रहा है, कुछ देर में सब ठीक हो जाएगा। अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद जच्चा-बच्चा घर लौट आए लेकिन समस्य बनी रही।
जांघ में सुई फंसी होने के कारण शिशु दर्द होने पर लगातार रोता था। परिवार के लोग तमाम कोशिशों के बावजूद बच्चे को चुप नहीं करा पा रहे थे और ना ही उसकी समस्या को समझ पा रहे थे। २० दिनों तक यही सिलसिला चलता रहा। सोमवार सुबह बच्चे को मां नहला रही थी तब जांघ में सुई का हिस्सा देखकर चौंकी। बाद में परिवार बच्चे को लेकर मेट्टूपालयम अस्पताल पहुंचा। परिवार ने अस्पताल प्रशासन से लापरवाही बरतने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। पीडि़त परिवार का कहना है कि वे इस मामले की शिकायत पुलिस में भी करने पर विचार कर रहे हैं। हालांकि, घटना पर अस्पताल प्रशासन या स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई बयान नहीं आया है।