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बोरवेल का अवैध खनन, सड़क को बनाया पार्किंग

locationकोयंबटूरPublished: Nov 11, 2019 10:42:48 am

Submitted by:

brajesh tiwari

तिरुचि की घटना के बाद भले ही प्रशासन और नगर निगम ने खुले बोरवेल और कुओं को बंद कराने के निर्देश जारी कर समय सीमा निर्धारित कर दी हो, लेकिन प्रशासन बोरवेल के अवैध खनन के कारोबार पर कोई रोक नहीं लगा पाया है।

Illegal mining of borewells, parking made on the road

तिरुचि की घटना के बाद भले ही प्रशासन और नगर निगम ने खुले बोरवेल और कुओं को बंद कराने के निर्देश जारी कर समय सीमा निर्धारित कर दी हो, लेकिन प्रशासन बोरवेल के अवैध खनन के कारोबार पर कोई रोक नहीं लगा पाया है।

कोयम्बत्तूर. कोयम्बत्तूर और आसपास के जिलों में हर माह कितने बोरवेल का खनन होता है यह जानकारी सम्बंधित विभागों को तक नहीं है। ऐसे में प्रशासन के निर्देश का पालन कैसे होगा यह तो जिम्मेदार अधिकारी भी नहीं बता पा रहे हैं। जबकि प्रशासन ने जिम्मेदार अधिकारियों पर भी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।

नहीं लेते अनुमति


शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में घरेलु उपयोग और किसानी के लिए हर दिन सैंकड़ों बोरवेल का खनन किया जाता है। बोरवेल खनन के लिए पहले राजस्व, पीएचई और नगर निगम से अनुमति लेनी होती हैं, लेकिन खनन के अधिकतर मामलों में न तो शहरी क्षेत्र और ना ही ग्रामीण क्षेत्र में बोरवेल खुदाई के लिए अनुमति ली जाती है। बिना प्रशासन को सूचना दिए ही बोरवेल खुदाई के लिए प्रयुक्त मशीन संचालक और भूमि स्वामी अपने स्तर पर ही खुदाई करा लेते हैं। कूप में पानी नहीं आने पर अधिकतर मामलों में सूखे गड्ढे को खुला ही छोड़ देते हैं। ऐसे में अनहोनी होने का डर बना रहता है।
जगह-जगह अवैध पार्किंग


बोरवेल की हय मशीनें शहर के बाहरी इलकों में सड़क के किनारे कहीं भी खड़ी मिल जाएंगी। सड़क और हाईवे को इन्होंने अवैध पार्किंग बना लिया है। इन मशीनों पर काम करने वाले कर्मचरियों का मशीनों के नीचे अस्थाई घर भी बन जाता है, जिसमें यह कर्मचारी खाना बनाने और सोने का कार्य करते हैं। शहर के तड़ागम रोड, मेट्टूपालयम रोड, चैन्नई रोड, पोलाची रोड आदि पर इन मशीनों के संचालकों ने पार्किंग के लिए अवैध कब्जा जमा रखा है।
पुलिस नहीं करती कार्रवाई


ऐसा नहीं है कि बोरवेल मशीनों द्वारा किए जा रहे अवैध कूप खनन और अवैध पार्किंग की जानकारी सरकारी अमला और पुलिस को नहीं हैं। इन मशीनों की अवैध पार्किंग पर बने टेंटों में नशा और अन्य अवैध काम होते हैं। सही मायनों में कहा जाए तो यह कारोबार पुलिस की जानकारी और शंह पर ही हो रहा है। वहीं सड़क किनारे और हाईवे पर अवैध पार्किंग के मामले में भी पुलिस सबकुछ देखते हुए भी कार्रवाई नहीं करती है।
300 मशीन उपलब्ध


कोयम्बत्तूर जिले में लगभग 300 बोरवेल खनन करने वाली प्रेशर मशीनें उपलब्ध हैं। इनमें से लगभग 35 बोरवेल खनन एजेंसियों ने तो अपने आप को गूगल पर भी रजिस्टर्ड करा लिया है। इन एजेंसियों में से कुछ के पास 10-10 मशीनें भी उपलब्ध हैं। जबकि कई मशीनें तो अवैध रूप से संचालित हो रही हैं। न तो इनका कोई रिकार्ड है और ना ही रजिस्ट्रेशन। यह मशीन संचालक खनन पर प्रतिबंध होने पर भी ऊचे दामों पर आसानी से बोरवेल खनन कर देती हैं।
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