लक्ष्मी के पीछे भागने वाला दास:आचार्य रत्नसेन
कोयंबटूरPublished: May 21, 2019 11:23:37 am
tt. जैन आचार्य रत्नसेन सूरीश्वर ने कहा कि जो लक्ष्मी या धन के पीछे भागता है वह लक्ष्मी का पति नहीं वरन उसका दास होता है। जिसके पीछे लक्ष्मी भागे वह लक्ष्मी पति होता है।
Man has received the birth of great virtue
ईरोड. जैन आचार्य रत्नसेन सूरीश्वर ने कहा कि जो लक्ष्मी या धन के पीछे भागता है वह लक्ष्मी का पति नहीं वरन उसका दास होता है। जिसके पीछे लक्ष्मी भागे वह लक्ष्मी पति होता है। लक्ष्मी होते हुए भी वह उसके संग्रह में रहता है वह लक्ष्मी के दास के समान ही है।
आचार्य आज ईरोड के जैन भवन में धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग प्राप्त हुई लक्ष्मी के मात्र चौकीदार बने रहते हैं वह उसका उपभोग नहीं कर सकते। न ही किसी को दान देते हैं। धन के प्रति ममता व आसक्ति जीवात्मा को नरक की गति में ले जाती है। उन्होंने कहा कि आत्मा चार गति में परिभ्रमण करती है। सर्वज्ञ वीतराग परमात्मा ने दान,्र शील, तप व और भाव धर्म बताए हैं।
दान का जीवन में बहुत महत्व
दान करने के लिए मन में शुभ भावना भी जरुरी है। कई बार समर्थ होने के बावजूद मन में शुद्ध विचार नहीं होने से वह दान नहीं कर पाता। कुछ व्यक्ति विरले होते हैं जो उतने सामथ्र्यवान नहीं होते हुए भी दान कर लेते हें।
आचार्य ने कहा कि हमें जो भी प्राप्त हुआ है उसका आधा दान कर देना चाहिए। गृहस्थ को अपना भोजन एकांत में छिपकर नहीं करना चाहिए।उसके घर का द्वार खुला होना चाहिए जहां दीन दुखी को दान दिया जा सके इसके बाद ही भोजन करना चाहिए।
छोटे -छोटे दान करने से ही व्यक्ति बड़े दान तक पहुंच सकता है। अल्प संपत्ति वाला भी दान दे सकता है। जो व्यक्ति गरीबी में भी दान देना सीख लेता है वह संपन्न होने पर भी दान दे सकता है।