कोयंबटूर

गुरु के प्रति सम्मान भाव से मिलता है मोक्ष : विजयरत्नसेन

जैन आचार्य विजय रत्नसेन सूरीश्वर ने कहा कि गुरुओं के प्रति सम्मान भाव है तो उसका मोक्ष में जाना तय है।

कोयंबटूरOct 22, 2019 / 12:20 pm

Dilip

गुरु के प्रति सम्मान भाव से मिलता है मोक्ष : विजयरत्नसेन

कोयम्बत्तूर. जैन आचार्य विजय रत्नसेन सूरीश्वर ने कहा कि गुरुओं के प्रति सम्मान भाव है तो उसका मोक्ष में जाना तय है। संत हर्ष विजय की ४०वीं पुण्यतिथि पर गुरु समर्पण भाव की महत्ता बताते हुए उन्होंने कहा कि जिसके हृदय में गुरु के प्रति बहुमान भाव है उसका मोक्ष पाना तय है। त्याग तप व संयम का गुरु सम्मान में बहुत महत्व है। वह यहां बहुफणा पाश्र्वनाथ जिनालय मेंं चल रहे चातुर्मास कार्यक्रम के तहत धार्मिक सभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जीवन में अन्य गुणों को आत्मसात करने से आत्मा का मोक्ष हो सकता है लेकिन अपने गुरु के प्रति जिसके ह्रदय में बहुमान है उस आत्मा का अवश्य मोक्ष है। जगत के जीवों के उद्धार के लिए धर्म शासन की स्थापना करने वाले तीर्थंकर परमात्मा है उस शासन को दीर्घकाल अर्थात हजारों लाखों वर्षों तक चलाने वाले सद्गुरु हैं। भगवान महावीर का अस्तित्व 30 वर्ष तक रहा। जब कि उनके द्वारा स्थापित शासन हजारों वर्षों रहेगा। देव गुरु व तत्वत्रयी के बीच गुरु को रखा गया है। देव व धर्म तत्व की पहचान कराने वाले गुरु ही हैं। संसार में तीर्थंकरों का अस्तित्व मर्यादित समय के लिए ही होता है क्यों कि उनकी आयु परिमित होता है। उनके अभाव में धर्म गुरु ही धर्म का बोध देते हैं।
उन्होंने कहा कि सद्गुरु का शिष्य पर उपकार जिनेश्वर परमात्मा की सच्ची पहचान कराना ही है। उपदेश से संसार की असारता समझाते हैं। गुरु के उपदेश से शिष्य के ह्रदय में वैराग्य भाव का बीजारोपण होता है। मुमुक्षु को संयम जीवन का प्रशिक्षण देते हैं। सद्गुरु ही शिष्य को शिक्षा देते हैं शिष्य की शारीरिक और आध्यात्मिक चिंता करते हैं। सुयोग्य शिष्य को आचार्य आदि की पदवी देते हैं। शिष्य का अज्ञान व मोहरूपी अंधकार को दूर करते हैं।
अंतिम देशना आज से
मंगलवार से दीपावली निमित्त प्रभु वीर की अंतिम देशना स्वरूप उत्तराध्ययन सूत्र के आधार पर प्रेरणादायी वचन होंगे।

Home / Coimbatore / गुरु के प्रति सम्मान भाव से मिलता है मोक्ष : विजयरत्नसेन

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.