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सुखी रहना है तो संतोषी बनें

locationकोयंबटूरPublished: May 20, 2019 11:27:28 am

जैन मुनि भाग्यचंद्र विजय ने कहा है कि जीवन में जो मिला उसमें संतोष करना जरुरी है। तभी सुख की प्राप्ति है। यही आनंद है।

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सुखी रहना है तो संतोषी बनें

ऊटी. जैन मुनि भाग्यचंद्र विजय ने कहा है कि जीवन में जो मिला उसमें संतोष करना जरुरी है। तभी सुख की प्राप्ति है। यही आनंद है। मुनि रविवार को यहां स्थानक में धर्मसभा में प्रवचन दे रहे थे। उन्होंने कहा कि जो आत्मा पांच इंद्रियों के सुख में मगन रहती है उसकी सद्गति मुश्किल है। जीवन में आनंद की प्राप्ति के प्रयास होने चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रत्येक आराधना आनंद के साथ करनी चाहिए। यदि सुख के साथ आराधना करते हैं तो वह संस्कार सद्गति में बाधक बन सकते हैं। मनुष्य भव की सार्थकता सुख के संसार को तोडऩे में है। इससे पूर्व भैरुंदान लूणावत ने सभी का स्वागत किया।
ऊ टी में जैन भवन में प्रवचन के दौरान स्थानीय जैन समाज के लोगों ने भी मुनि से आशीर्वाद लिया। समाज के स्थानीय पदाधिकारियों ने कहा कि ऊटी में जैन प्रवचन के कार्यक्रम आगे भी निरंतर जारी रहेंगे। धार्मिक आयोजनों से पर्यटन स्थल की महत्ता भी बढ़ती है।
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