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परमात्माओं के जीवन दर्शन अनुसरण जरूरी

locationकोयंबटूरPublished: Oct 06, 2019 01:18:48 pm

Submitted by:

Dilip

पापों का हनन करने का एकमात्र उपाय केवल प्रार्थना या स्तुति नहीं वरन परमात्मा के जीवन दर्शन का अध्ययन कर उसका अनुसरण करना है। तभी कर्मों की निर्जरा दूर होती है।

परमात्माओं के जीवन दर्शन अनुसरण जरूरी

परमात्माओं के जीवन दर्शन अनुसरण जरूरी

कोयम्बत्तूर.पापों का हनन करने का एकमात्र उपाय केवल प्रार्थना या स्तुति नहीं वरन परमात्मा के जीवन दर्शन का अध्ययन कर उसका अनुसरण करना है। तभी कर्मों की निर्जरा दूर होती है।
ये विचार मुनि हितेशचंद्र विजय ने व्यक्त किए। वे RG stereet आरजी स्ट्रीट स्थित आराधना भवन में चल रहे चातुर्मास कार्यक्रम के तहत धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। भाव नव्वाणु यात्रा व शाश्वत नवपद ओली आराधना के विषय पर उन्होंने कहा कि मन अक्षय शक्ति का भंडार है। मन में अपार बल है। संसार में आज तक जिसने विजय प्राप्त की है वह मन पर काबू प्राप्त कर संयम मार्ग पर चला। जिस प्रकार राम ने रावण को, कृष्ण ने कंस को जीता, महावीर ने अंगुलमील जैसे पापी को सत्य का दर्शन कराया।
उन्होंने कहा कि गांधी के मनोबल व त्याग से भारत स्वतंत्र व बलवान बना। सभी प्रकार की सफलताओं का आधार मनोबल है। शस्त्र आपको मैदान में हरवा सकता है, लेकिन मनोबल मजबूत है तो हार भी जीत में परिवर्तित हो जाती है। चिंता, निराशा, शोक, भय ताप यह सब मन के विकार हैं। इनके आघात से मन की शक्ति कमजोर होती है। मन को मजबूत बना कर कार्य करते रहने से सफलता मिलेगी। उन्होंने कहा कि शरीर वृद्ध हो सकता है लेकिन मन नहीं। शरीर के सारे रोगों का निदान हो सकता है यदि बीमारी को दिमाग से हटा दिया जाए। उसका कोई इलाज नहीं कर सकता। मन व दिमाग में रोग को नहीं आने दें। आयंबिल एकासने के तप से कई तपस्वी नव्वाणी व ओली आराधना में भाग ले रहे हैं।
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