सूक्ष्म और लघु उद्योग संघों के प्रतिनिधियों के अनुमान के अनुसार कोयम्बत्तूर जिले में लगभग 1.5 लाख उत्तर भारतीय प्रवासी कामगार थे। संचालकों का कहना है कि ये जब काम के लिए आए तो अकुशल थे। हमने इन श्रमिकों को प्रशिक्षित किया है। कोरोना संकट के कारण ये लोग चले गए तो हमारे लिए भी तो समस्या हो गई है। प्रतिनिधियों ने बताया कि बड़ी संख्या में प्रवासी कामगार जा चुके हैं। जो बचे हैं वे भी जाने के लिए बैचेन हैं। स्पेशल ट्रेनों की जानकारी व सूची में नाम दर्जकराने के लिए कामगार रोजाना पुलिस थानों के चक्कर लगा रहे हैं।यही नहीं वे अपने नियोक्ताओं को उन्हें वापस घर भेजने की व्यवस्था करने की भी मांग कर रहे हैं। प्रवासी कामगार फिलहाल मन से काम करने की स्थिति में नहीं हैं।
ऐसे हालात में हमें प्रवासी कामगारों के जाने की वजह से हो रही समस्या का हल ढंूढना होगा। सबसे बढिय़ा समाधान है ग्रामीण बेरोजगार युवाओं के लिए कौशल विकास योजना शुरू करने की। उनका कहना है कि कौशल विकास योजना के हाल प्रदेश में ठीक नहीं हैं। प्रदेश सरकार इस योजना को पूरे मन से चलाए। साथ ही राज्य सरकार पॉलिटेक्निक व आईटीआई छात्रों के लिए सूक्ष्म, लघु इकाइयों में इंटर्नशिप व प्रशिक्षण भी अनिवार्य करें। इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार की समस्या का निदान होगा और उद्योग-धंधे भी गति पकड़ेंगे।