कोयंबटूर

केले की फसल पर बारिश व तेज हवाओं का कहर

मई का महीना केले उत्पादक किसानों के लिए कहर बना हुआ है। मेट्टूपालयम इलाके में शुक्रवार को तेज हवाओं व भारी बारिश ने भवानी नदी के किनारे के गांवों में केले के करीब दो लाख पेड़ ध्वस्त हो गए।

कोयंबटूरMay 19, 2019 / 12:29 pm

कुमार जीवेन्द्र झा

केले की फसल पर बारिश व तेज हवाओं का कहर

कोयम्बत्तूर. मई का महीना केले उत्पादक किसानों के लिए कहर बना हुआ है। मेट्टूपालयम इलाके में शुक्रवार को तेज हवाओं व भारी बारिश ने भवानी नदी के किनारे के गांवों में केले के करीब दो लाख पेड़ ध्वस्त हो गए। देर शाम को चली हवाओं ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया।
न केवल केले के पेड़ धराशायी हो गए। बल्कि कई कच्चे -पक्के मकानों की केलू से बनी छतों को नुकसान पहुंचा। हवा केलू को उड़ा ले गई।गनीमत रही कि किसी को चोट नहीं पहुंची।
जिन गांवों में बरसात व तेज हवाओं ने कहर बरपाया है उनमें सिरुमुगई, पल्लपलायम, पगथुर, पल्लपालयम, आनापल्लीपुदुर, सेनाम्बपालयम शामिल हैं। यहां किसानों को भारी नुकसान हुआ है। करीब दो लाख पेड़ नष्ट हो गए। किसानों ने बताया कि फसल परवान पर थी और ऐसे में मौसम ने उनकी मेहनत को मिट्टी मेें मिला दिया।
उन्होंने बताया कि यह सप्ताह किसानों के लिए भारी पड़ा है। इस इलाके में अभी तक 30 लाख केले के पेड़ तेज हवाओं और बारिश के कारण बर्बाद हो गए हैं।
किसानों ने बताया कि जब यहां राजस्व विभाग की ओर से मुआवजे के लिए टीम आई तो हमें कुछ उम्मीद बंधी थी पर राज्य सरकार ने तो एक पेड़ का मुआवजा मात्र पांच रुपए तय किया। किसानों ने बताया कि एक पेड़ को लगाने में कम से कम दो सौ से ढाई सौ रुपए खर्च होते हैं। सिरुमुगई के एक किसान ने कहा कि सरकार को मुआवजे के रूप में उचित मूल्य तय करना होगा। उल्लेखनीय है कि तीन दिन पहले ही तमिलनाडु किसान संघ के प्रदेश सचिव वेणुगोपाल ने इलाके में किसानों से मिले थे। उन्होंने कहा कि विपरीत हालातों में काश्तकार कर्जा लेकर खेती कर रहा है और सरकार उसके साथ मजाक करने पर आमादा है।इसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
केले के प्रत्येक पेड़ का मुआवजा कम से कम २५० रुपए दिया जाना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि
सरकार वांछित मुआवजा देने में विफल रहती है तो किसान संघ पांच जून को विरोध स्वरूप रैली निकालेगा।

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