भगवान महावीर के सिद्धांतों में तपस्या व ध्यान का संगम
कोयंबटूरPublished: Apr 18, 2019 08:47:42 pm
तपस्या के साथ ध्यान का संगम जरुरी है। भगवान महावीर ने तपस्या के छह बाह्य व छह अंतरंग तत्वों का मिश्रण किया अर्थात ध्यान को भी उतना ही महत्व दिया।
भगवान महावीर के सिद्धांतों में तपस्या व ध्यान का संगम
कोयम्बत्तूर. तपस्या के साथ ध्यान का संगम जरुरी है। भगवान महावीर ने तपस्या के छह बाह्य व छह अंतरंग तत्वों का मिश्रण किया अर्थात ध्यान को भी उतना ही महत्व दिया।
तेरापंथ धर्म संघ की मुख्य नियोजिका साध्वी विश्रुत विभा ने बुधवार को यहां तेरापंथ सभा भवन में कोयम्बत्तूर जैन महासंघ की ओर से भगवान महावीर जन्म कल्याणक महोत्सव आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि जैन धर्म में तपस्या करने वालोंं का वरघोड़ा निकाल कर सम्मान किया जाता है लेकिन जो सामयिकी या ध्यान करते हैं उनका भी सम्मान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हजारों वर्षों बाद भी भगवान महावीर का दर्शन, चिंतन व संदेश हमें उपलब्ध है।
उन्होंने कहा कि भगवान महावीर अलौकिक चरित्र के व्यक्ति थे जो अपने पास रहने वाले व्यक्ति की भूल पर भी उसे सजग करते थे। उन्होंने ज्ञान की प्राप्ति होने के संबंध में गौतम व आनंद के प्रसंग को भी विस्तार से सुनाया। उन्होंने कहा कि क्रियावाणी, प्रवृत्ति सही हो तो कोई भी व्यक्ति परमात्मा बन सकता है। उन्होंने कहा कि पुरुषार्थ कर वीतराग प्राप्त किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि जैन धर्म में शरीर को कष्ट देने की अवधारणा सही नहीं है। साधना के मार्ग में आगे बढऩे के दौरान आने वाले कष्टों को समभाव से सहन करने से ही मोक्ष प्राप्त होता है। महावीर के अहिंसा, परिग्रह, अनेकांत आदि सिद्धांत आज भी प्रासंगिक हैंं।
उन्होंने अर्जन के साथ साधन शुद्धि का ध्यान रखने को जरुरी बताया है। येन-केन प्रकारेण धन का अर्जन न हो। साथ ही इसकी एक सीमा होनी चाहिए। साध्वी ने कहा कि अर्जित संपत्ति में से स्वयं के लिए कम से कम उपयोग होना चाहिए। उन्होंने माना कि प्रतिस्पर्धा के युग में भौतिक वस्तुओं के उपयोग की सीमाएं नहीं हैं लेकिन खुद को संयमित कर तनाव और परेशानियों से बचा जा सकता है। लोग वस्त्र नहीं, गुणों को देख करीब आते हैं।
जैन धर्म के सिद्धांतों पर अमल करें तो विश्व में शांति कायम की जा सकती है। देशों, समाज व परिवारों में शत्रुता का भाव खत्म हो सकता है। प्रेम और मैत्री होने से शत्रुता का भाव खत्म हो जाएगा। रक्षा आदि पर होने वाले व्यय के बचत से राष्ट्र भी आर्थिक रूप से मजबूत हो सकेगा। इतिहास, संस्कृति व भौगोलिक विकास होगा। यही भगवान महावीर के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। इससे पूर्व कांति प्रज्ञा ने भी विचार व्यक्त किए। साध्वी ठाणा ने भजन प्रस्तुत किया।
इस मौके पर महासंघ व रोटरी क्लब मिडटाउन की ओर से ५० नि: शक्त बच्चों व महिलाओं को कृत्रिम अंगों(कैलीपरो) का वितरण किया गया। इससे पूर्व सुबह सरकारी अस्पतालों में १५०० मरीजों को फल वितरित किए गए।
महासंघ के अध्यक्ष चंपालाल बाफना ने अतिथियों का स्वागत किया। इस मौके पर राजस्थानी संघ के पूर्व अध्यक्ष बालचंद बोथरा, राजस्थान जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ के पूर्व उपाध्यक्ष केवलचंद जैन का सम्मान किया गया।