यह संयंत्र राज्य के प्रमुख और वृहद सार्वजनिक उपक्रमों मेें से एक है। मुख्यमंत्री ई.के.पलनी स्वामी Edappadi K Palanisamy के गृह जिले सेलम में स्थित है और इसके कारण संयंत्र को बेचने का मामला राजनीतिक तौर पर काफी महत्वपूर्ण हो गया है। राज्य में सत्तारुढ़ एआईएडीएमके अभी भाजपा BJP के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) NDA में शामिल है।
सेलम में 1981 में इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल में सेलम आयरन वक्र्स नाम से सरकारी संयंत्र की स्थापना हुई थी। बाद में विस्तार के दौरान इसे आयरन से स्टील Steel वक्र्स में बदल दिया गया। इस संयंत्र में स्टेनलेस स्टील और कार्बोनेटेड स्टील का उत्पादन होता है। संयंत्र में करीब 1500 स्थाई कर्मचारी हैं जबकि एक हजार अस्थायी कामगार हैं। साथ ही दो हजार से ज्यादा लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार मिलता है।
सेलम संयंत्र के निजीकरण का मसला शुक्रवार को विधानसभा में भी उठा। डीएमके नेता एम. के. स्टालिन MK Stalin ने प्रश्नकाल के दौरान इस मसले को उठाते हुए कहा कि संयंत्र का निजीकरण रोकने के लिए राज्य सरकार को कदम उठाना चाहिए। स्टालिन ने कहा कि हमें प्रधानमंत्री prime minister of india से मुलाकात कर इसका विरोध करना चाहिए। हमारे सांसद भी आपके साथ चलने के लिए तैयार हैं।
इस पर मुख्यमंत्री पलनीस्वामी ने कहा कि यह सच है कि केंद्र सरकार इस संयंत्र का विनिवेश करना चाहती है। इसके निजीकरण को रोकने के लिए हम कोशिश करेंगे। इस मसले पर हम प्रधानमंत्री और संबंधित मंत्रियों से मुलाकात करने की कोशिश करेंगे। राज्य के सांसदों को संसद के दोनों सदनों में इस मसले को उठाना चाहिए।