कच्चे माल व कामगारों की कमी से पम्प सेट उद्योग लडख़ड़ाया
कोयम्बत्तूर. पम्प सेट कम्पनियां कामगारों और कच्चे माल की कमी के कारण संकट से जूझ रही है। आर्डर हाथ में हैं, लेकिन कम्पनियां पूरी क्षमता से उत्पादन नहीं कर पा रही है। कोयम्बत्तूर जिले की इकाइयों में एक माह में तीन से चार लाख पंप सेटों का निर्माण होता रहा है। पम्प सेट व्यवसायी मुरुगन ने बताया कि पंप उद्योग आमतौर पर नवंबर से जून तक तेजी पर रहता है। यह पीक सीजन माना जाता है। कोयम्बत्तूर के पम्प सेटों की न केवल तमिलनाडु में बल्कि दूसरे राज्यों तक में अच्छी खासी मांग रहती है। कम्पनियों को आर्डर मिल रहे हैं पर हम आपूर्ति करने में असहाय महसूस कर रहे हैं। लॉकडाउन में ढील के साथ ही हमें अच्छे ऑर्डर मिल रहे हैं। डीलरों से भी पूछताछ की जा रही है, लेकिन तांबे के तारों, बियरिंगों और कास्टिंग जैसा कच्चा माल कोयम्बत्तूर नहीं आ पा रहा है। पंप उद्योग आमतौर पर नवंबर से जून तक तेजी पर रहता है।