दक्षिण में हिंदी पढ़ाएं, उत्तर में दक्षिणी भाषाएं!
कोयंबटूरPublished: Sep 14, 2019 04:43:35 pm
Hindi Diwas : अब सिर्फ राजभाषा ही नहीं … बदलते दौर में बढ़ा है हिंदी का महत्व
कोयम्बत्तूर. आजादी के बाद संविधान सभा ने 14 सितम्बर 1949 को देवनागरी लिपि में लिखी हिंदी Hindi को राजभाषा के तौर पर स्वीकार किया था। हालांकि, उसके साथ ही अंग्रेजी को भी राजभाषा यानी आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया गया था। देश को एकता के सूत्र में पिरोने वाली हिंदी कालांतर में देश के अलग-अलग हिस्सों में संवाद भाषा के तौर पर स्थापित हो गई। आधिकारिक तौर पर राष्ट्र भाषा नहीं होने के बावजूद हिंदी का प्रसार बढ़ा और आज वह एक तरह से बाजार की भाषा है। अहिंदी भाषी राज्यों Tamilnadu में भी हिंदी का महत्व तेजी से बढ़ा है। विद्यार्थियों में हिंदी बढऩे की ललक बढ़ी है। इसमें हिंदी फिल्मों का योगदान भी काफी रहा। बड़े बाजार के कारण हिंदी में रोजगार की संभावनाएं बढऩे से इसके प्रति आकर्षण भी बढ़ा है। हालांकि, अहिंदी भाषी राज्यों में यदा-कदा हिंदी को लेकर राजनीतिक विरोध के स्वर भी उभरते रहे हैं। संवाद सेतु का काम करने वाली हिंदी कैसे क्षेत्रीय भाषाओं के साथ आगे बढ़े, इस पर Coimbatore पत्रिका ने विभिन्न कॉलेजों के प्राध्यापकों से बातचीत कर उनकी राय जानी। इन सबका कहना था कि हिंदी की लोकप्रियता बढ़ी है लेकिन विद्यार्थियों पर इसे थोपने के बजाय वैकल्पिक विषय के तौर पर दिया जाना चाहिए। साथ ही Tamilnadu दक्षिणी राज्यों में हिंदी पढ़ाए जाने के साथ ही हिंदी भाषी राज्यों में दक्षिण भारतीय भाषाएं भी वैकल्पिक विषय के तौर पर शामिल किए जाएं ताकि लोगों के बीच भाषाई एकता का भाव विकसित हो।