तड़ागम घाटी बचाने वालों को नक्सली बता कर रहे बदनाम
कोयंबटूरPublished: Jan 22, 2020 12:29:52 pm
तड़ागम घाटी बचाने वालों को नक्सली बता कर रहे बदनाम
तड़ागम घाटी बचाने वालों को नक्सली बता कर रहे बदनाम tamilnadu
कोयम्बत्तूर. तड़ागम घाटी को अवैध ईंट भट्ठा माफिया से बचाने के लिए संघर्ष कर रहे कार्यकर्ताओं तो नित नई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उनके साथ मारपीट, नकदी का लालच , चरित्र हनन के बाद माफिया अब कार्यकर्ताओं को नक्सलियों से जुड़ा हुआ बता रहा है। ऐसे ही दो कार्यकर्ता ने मंगवार को जिला पुलिस अधीक्षक सुजीत कुमार से मिले। सामाजिक कार्यकर्ता गणेशन और राजेंद्रन ने बताया कि माफिया अब सोशल मीडिया के जरिए दोनों को नक्सली ठहराने पर तुला हुआ है। सोशल मीडिया पर इन दोनों के खिलाफ एक मैसेज चल रहा है। इसमें बताया गया है कि हमें ईंट भ_ा मालिकों और रेत खनन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के लिए नक्सलियों ने काफी पैसा दिया है। उन्होंने मैसेज के स्क्रीन शॉट सहित अन्य प्रमाण पुलिस अधीक्षक को सौंप कर जांच की मांग की। दोनों कार्यकर्ताओं ने ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने को कहा। सुजीत कुमार ने थुडियालूर पुलिस को मामले की जांच के निर्देश दिए हैं।
घाटी को बचाने अदालत तक गए थे
गणेशन और राजेंद्रन ने तड़ागम से अवैध खनन को रोकने के लिए कई बार आंदोलन किए पर प्रशासन ने तवज्जों नहीं दी। थक हार कर दोनों ने अदालत की शरण ली। वहां से पूरे मामले में कार्रवाई के आदेश के बाद प्रशासन हरकत में आया और कुछ हद तक यहां अवैध खनन पर रोक लगी। लेकिन ईंट भट्ठा माफिया इनका दुश्मन बन गया।
माफिया से जान को खतरा
चिन्ना तड़ागम में आयोजित ग्रामसभा में अवैध ईंट भट्ठा और रेत खनन का मामला उठाने पर मक्कल नीधि मय्यम के कार्यकर्ता बाबू, सुरेश ,प्रभु व एक सामाजिक कार्यकर्ता पर माफिया के गुर्गों ने हमला कर दिया था। चारों घायलों को कोयम्बत्तूर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। इस मामले में एमएनएम अध्यक्ष कमल हासन ने भी फोन पर अधिकारियों से बात ती और कार्यकर्ताओं का हौंसला बढ़ाया था। एमएनएम ने कलक्टर व पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन देकर आरोप लगया था कि हमलावरों में एडीएमके कार्यकर्ता और अवैधईंट भट्ठा संचालकों के गुर्गे शामिल थे।
२०० से अधिक भट्ठे
तड़ागम में २०० से अधिक ईंट भट्ठों का संचालन हो रहा है। रोजाना कम से कम ढाई लाख ईंट यहां तैयार होती है। इस काम में सैकड़ों ट्रक व अन्य वाहन दिन -रात दौड़ते रहते हैं। बड़े पैमाने पर रेत लाई जाती है।ईंटें यहां से बाहर ले जाई जाती है। चिमनियां लगातार धुंआ उगलती हैं। लदान और उतरान का क्रम चलने से पूरे इलाके में हर वक्त धुंध छाई रहती है। यही वजह है कि आम लोग सांस सम्बन्धी रोगों से पीडि़त होने लगे हैं।
वन्य जीव कर गए पलायन
तड़ागम घाटी को अवैध खनन और ईंट भट्ठों ने बर्बाद कर दिया है। यह इलाका एक दशक पहले तक वन्य जीवों का बसेरा था। वे प्राण बचा कर भाग लिए। भूले भटके आने वाले हाथियों को खदेड़ दिया जाता है। लेकिन अब खतरा आम लोगों के जीवन पर है। नियमानुसार पट्टा भूमि पर अधिकतम 2 मीटर या 6 .8 फीट गहराई तक रेत नहीं खोदी जा सकती, लेकिन तड़ागम घाटी में 8 0 से 120 फीट गहराई तक से मिट्टी निकाली जा चुकी है।