प्राचीन जल स्रोतों की लेनी होगी सुध
आजादी से पहले तक कोयम्बत्तूर पानी के मामले में आत्मनिर्भर था। शहर के चारों ओर बड़ी झीलें और तालाब थे। शहर में बड़े मंदिरों के साथ जुड़े जलाशयों में पानी साल भर हिलोरे मारता था। लेकिन इन पर कब्जे हो गए। बरसात के पानी आने के रास्तों को जाम कर दिया गया । आज भी शहर के चारों ओर जलाशय मौजूद हैं पर इनके जलग्रहण क्षेत्रों में आबादी बस गई हैं। अब शहर का गंदा पानी इनमें जमा होता है। शहर के पास पेरुर में नदी की को भी गंदा नाला बना दिया गया है। तीन साल पहले समाजसुधारक अन्ना हजारे के सानिध्य में नदी को साफ करने की शुरुआत की गई । ये भी सिरे नहीं चढ़ी।