विश्व क्रिकेट इतिहास में कई पिता-पुत्र की जोड़ियां देखने को मिली हैं। जिन्होंने अपने देश का प्रतिनिधित्व किया है। भारतीय क्रिकेट टीम में भी ऐसे कई सयोग देखने को मिले हैं जब पिता के बाद बेटे ने भारत के लिए क्रिकेट खेला हो। ताजा मामला क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर का है। तेंदुलकर के बेटे अर्जुन तेंदुलकर को भारत की अंडर 19 क्रिकेट टीम में जगह मिली है। आज हम आपको बता रहे हैं भारतीय क्रिकेट टीम के ऐसे पिता-पुत्र की जोड़ियों के बारे में....
सचिन और अर्जुन तेंदुलकर :
क्रिकेट में शायद ही कोई ऐसा रिकॉड हो, जो सचिन ने अपने नाम न किया हो। वर्ल्ड क्रिकेट में कोई ऐसा बल्लेबाज मिला ही नहीं जो सचिन के आस पास भी टिक पाये, सेंचुरी की सेंचुरी हो या 200 टेस्ट मैच खेलना। ODI मैच में अकेले 200 रन बनाने वाले दुनिया के पहले बल्लेबाज सचिन ही थे। ऐसे महान शख्सियत के बेटे अर्जुन से ढेर सारी उम्मीदें उनके चाहने वालों को है। उम्मीद है वो प्रशंसकों की आस पर खड़े उतरें ।
सुनील और रोहन गावस्कर:
अपने समय के सबसे महान बल्लेबाज रहे सुनील गावस्कर ने पूरी दुनिया में भारतीय क्रिकेट टीम की लोकप्रियता बढ़ाने का काम किया था। सुनील गावस्कर को दुनिया के महान टेस्ट क्रिकेटरों में रखा जाता है। भारत की ओर टेस्ट क्रिकेट में 10 हजार रन बनाने वाले पहले बल्लेबाज बने थे। सुनील के बेटे रोहन गावस्कर ने क्रिकेट में हाथ आजमाया। ये बात और है कि वे अपने पिता की तरफ सफल नहीं हो सके। रोहन भारत की ओर से केवल 11 वनडे ही खेल सके। टीम में जगह न मिलने के बाद रोहन ने क्रिकेट कॉमेंट्री में भी हाथ आजमाई। लेकिन यहां भी वो फेल ही हुए।
लाला अमरनाथ - सुरेंद्र और मोहिंदर अमरनाथ :
भारत की ओर से पहला शतक जमाने का श्रेय लाला अमरनाथ को जाता है। खास बात यह है कि उन्होंने 84 साल पहले 1933 में पहला शतक जड़ा था। अमरनाथ ने अपने करियर के दौरान कुल 24 टेस्ट मैच खेले और 878 रन बनाए, साथ ही 45 विकेट भी चटकाए। बाद में उनके बेटे सुरेंद्र और मोहिंदर अमरनाथ ने भारतीय क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व किया। अमरनाथ परिवार की बात की जाए, तो इस फैमिली ने कुल 13 टेस्ट शतक लगाए। लाला के एक शतक के अलावा मोहिंदर ने 11 और सुरेंद्र ने एक टेस्ट शतक लगाया|
योगराज और युवराज सिंह:
पंजाब के योगराज सिंह ने भारत के लिए 6 ODI और 1 टेस्ट खेला हैं । क्रिकेटर के तौर पर तो योगराज को सफलता कम ही मिली पर उन्होंने बाद में फिल्मों में भी हाथ आजमाए। यहां उन्हें क्रिकेट से ज्यादा सफलता मिली। भाग मिल्खा भाग जैसी फ़िल्में उनकी झोली में है, जिसमें उन्होंने अपनी उम्दा अदाकारी से सबको चौका दिया था। योगराज के बेटे युवराज सिंह आज वो शक्सियत बन चुके हैं, जिन्हें किसी पहचान की जरुरत नहीं। इंग्लैंड के खिलाफ 6 गेंदों में 6 छक्के कौन भूल सकता है? भारत को दो बार विश्व कप दिलाने वाले बाएं हाथ के हरफ़नमौला खिलाड़ी युवराज सिंह ने कैंसर पर भी विजय पा टीम इंडिया में वापसी की है।
रोजर और स्टुअर्ट बिन्नी:
पूर्व भारतीय ऑलराउंडर रोजर बिन्नी ने 1983 विश्व कप में दमदार प्रदर्शन किया था। रोजर ने भारत की तरफ से 27 टेस्ट और 72 वनडे खेले। रोजर के बेटे स्टुअर्ट बिन्नी ने भी भारतीय टीम में जगह बनाई। हालांकि वो ज्यादा दिनों तक टीम में अपनी सीट पक्की नहीं रख सके। स्टुअर्ट बिन्नी ने अपने अन्तरराष्ट्रीय कॅरियर में केवल 6 टेस्ट, 14 वनडे और 3 टी-20 मैच ही खेल सके हैं। स्टूअर्ट बिन्नी आईपीएल के 11वें सीजन में राजस्थान रॉयल्स की ओर से खेला था। हालांकि इस दौरान भी उनका प्रदर्शन कुछ खास नहीं था।