लोढ़ा कमिटी की सिफारिशों को लागू करने में असमर्थता जता रही बीसीसीआई को सुप्रीम कोर्ट में फिर तगड़ा झटका लगा है।
चेन्नई. लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों को लागू करने के मामले में अनुराग ठाकुर को सुप्रीम कोर्ट में तगड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने पहली नजर में माना कि अनुराग ठाकुर ने झूठे तथ्य रखे। इस आधार पर कोर्ट ने इसे आदेश की अवमानना कहा है। इस केस में अगर हलफनामा झूठा साबित हुआ तो अनुराग को सजा हो सकती है। चीफ जस्टिस टी. एस. ठाकुर की बेंच ने कहा भी कि, “एक बार हमने (झूठी गवाही के मामले में) फैसला सुना दिया तो आपके पास जेल जाने के सिवाय दूसरा रास्ता नहीं बचेगा।” चीफ जस्टिस ने यह टिप्पणी लोढ़ा कमेटी की तीसरी स्टेटस रिपोर्ट की सुनवाई के दौरान की।
एमिक्स क्यूरी ने SC को बताया, अनुराग ने शपथपत्र में झूठ कहा था
इस बारे में सुप्रीम कोर्ट ने एमिक्स क्यूरी गोपाल सुब्रमनियम से पूछा, “क्या अनुराग ने कोर्ट के सामने झूठे फैक्ट रखे? इस सवाल के जवाब में गोपाल सुब्रमनियन ने बताया, “अनुराग ने सुप्रीम कोर्ट में दिए शपथपत्र में झूठ कहा था कि बीसीसीआई चेयरमैन के रूप में उन्होंने शशांक मनोहर से सलाह ली थी। उन्होंने सुधारों की प्रक्रिया में बाधा पहुंचाई।” क्यूरी ने बीसीसीआई के सीनियर पदाधिकारियों को पद से हटाए जाने की वकालत भी की। बुधवार को इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई की रिव्यू याचिका को खारिज कर दिया।
पहली नजर में अवमानना : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, पहली नजर में, हमें लगता है कि आपने (अनुराग) कोर्ट की अवमानना की है और हम आपके खिलाफ मुकदमा चलाने का इरादा रखते हैं। आईसीसी चेयरमैन मि. मनोहर ने कहा कि आपने उनसे लेटर लिखने को कहा था। जब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कैग नॉमिनी के अप्वॉइंटमेंट में पारदर्शिता लानी होगी, फिर आपको ऐसा करने की जरूरत ही नहीं थी। आपका इरादा फैसले के पूरे मकसद को शिकस्त देना था।…हमें नहीं पता आपका इरादा क्या है। अगर आप झूठे सबूतों के आरोपों से बचना चाहते हैं, तो आपको माफी मांगनी चाहिए। आप कोर्ट की सुनवाई में बाधा डाल रहे हैं। कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद बीसीसीआई के वकील कपिल सिब्बल ने कहा, हम पूरा रिकॉर्ड कोर्ट के सामने रख सकते हैं। अगर कोर्ट को लगता है कि हमने गुमराह किया है तो हम माफी मांगना चाहेंगे। सुप्रीम कोर्ट के सामने ऐसा करने की किसी की
हिम्मत नहीं हो सकती।
नीचे पढ़ सकते हैं लोढ़ा कमेटी की रिपोर्ट के 8 अहम प्वाइंट …
क्यों गठित की गई थी लोढ़ा कमेटी?
2013 में आईपीएल में सट्टेबाजी और स्पॉट फिक्सिंग की जांच के लिए गठित मुद्गल समिति ने अगस्त 2014 में सुप्रीम कोर्ट को एक रिपोर्ट सौंपी थी। इसके बाद जनवरी 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई में पारदर्शिता के लाने के पूर्व चीफ जस्टिस आरएम लोढा की अगुवाई में एक कमेटी बनाई थी। कमेटी ने जनवरी 2016 में 159 पन्नों में अपनी रिपोर्ट दी थी।
क्या है लोढ़ा की सिफारिशें : 8 अहम प्वाइंट
1. एक राज्य में एक ही क्रिकेट संघ हो वह पूर्ण सदस्य हो और उसे वोट देने का अधिकार हो। रेलवे, सर्विसेज और यूनिवर्सिटियों की अहमियत घटाकर उन्हें सिर्फ एसोसिएट मेंबर का दर्जा देना चाहिए।
2. आईपीएल और बीसीसीआई की गवर्निंग बॉडीज को अलग होनी चाहिए। आईपीएल की गवर्निंग काउंसिल के लिए सीमित स्वायत्तता हो।
3. बीसीसीआई पदाधिकारियों की योग्यता के मानक बनाने चाहिए। यह जरूरी हो कि बीसीसीआई का पदाधिकारी मंत्री या अफसर न हो। वह बीसीसीआई में किसी पद पर नौ साल या तीन कार्यकाल न गुजारे हों। किसी भी बीसीसीआई पदाधिकारी को लगातार दो बार से ज्यादा का कार्यकाल नहीं मिलना चाहिए।
4. आईपीएल के पूर्व चीफ ऑपरेटिंग अफसर सुंदर रमन को क्लीन चिट दी। 2013 में आईपीएल में सट्टेबाजी और स्पॉट फिक्सिंग का मामला समाने आने पर आयोजन की कमान उनके ही हाथ में थी। रमन ने 2015 में इस्तीफा दिया था।
5. सट्टेबाजी को वैध बना दिया जाना चाहिए और इसके लिए इंटरनल व्यवस्था करनी चाहिए।
6. बीसीसीआई में खिलाड़ियों की भी अपनी एक एसोसिएशन बनानी चाहिए।
7. स्टीयरिंग कमेटी बनानी चाहिए। इसके अध्यक्ष पूर्व गृह सचिव जीके पिल्लई हों और मोहिंदर अमरनाथ, डायना इदुलजी और अनिल कुंबले मेंबर हों। बोर्ड में क्रिकेट संबंधी मसलों को निपटाने की जिम्मेदारी पूर्व खिलाड़ियों को दी जानी चाहिए।
8. बीसीसीआई को भी सूचना का अधिकार (आरटीआई) के दायरे में लाना चाहिए।