डब्ल्यू जी ग्रेस को आधुनिक क्रिकेट का निर्माता भी कहा जाता है। लंबी दाढ़ी उनकी पहचान थी। उन दिनों टेस्ट मैच बहुत कम खेले जाते थे। वहीं जी ग्रेस ने अपना टेस्ट कॅरियर 32 वर्ष की उम्र में शुरू किया था। वह इंग्लैंड का अपने घरेलू मैदान पर पहला टेस्ट मैच था। यह मैच 1880 में ओवल में खेला गया था और उस मैच में ग्रेस ने 152 रनों की पारी खेली थी।
ग्रेस शानदार खिलाड़ी होने के साथ बहुत ‘मूडी’ भी थे। उन्हें आउट होना नहीं भाता था। उनके बारे में एक किस्सा काफी मशहूर है। एक बार जब वे मैच में बोल्ड हो गए थे तो उन्होंने गिल्लियां वापस विकेट पर रखकर फिर से खेलना शुरू कर दिया। कहा जाता है कि अंपायर के टोकने पर उन्होंने कहा था कि यहां लोग मेरा खेल देखने आते हैं।
ग्रेस ने अपने कॅरियर में 22 टेस्ट मैचों में 1098 रन बनाए। उन्होंने अपना अंतिम टेस्ट मैच 51 साल की उम्र में खेला था। टेस्ट मैच में ग्रेस ने दो शतक लगाए और 9 विकेट झटके। वहीं फर्स्ट क्लास मैच में उन्होंने 39.45 की औसत से 54,211 रन बनाए। इसमें उन्होंने 124 शतक लगाए थे। वहीं उन्होंने बेहतरीन गेंदबाजी का प्रदर्शन करते हुए कुल 2809 विकेट भी झटके। एक पारी में उन्होंने 49 रन देकर विरोधी टीम के सभी 10 विकेट लेने का भी कारनामा किया था।
ग्रेस को ‘द डॉक्टर’ के नाम से भी जाना जाता था। दरअसल, ग्रेस ने 1868 में ब्रिस्टल मेडिकल कॉलेज में दाखिला ले लिया था। हालांकि क्रिकेट की वजह से उन्हें मेडिकल की परीक्षा पास करने में 11 साल लग गए। पहले विश्व युद्ध के दौरान केंट में एक हवाई हमले के दौरान दिल का दौरा पड़ने से 23 अक्टूबर 1915 को उनका निधन हो गया था। ग्रेस ने अपने कॅरियर में कई रिकॉर्ड्स बनाए। फर्स्ट क्लास क्रिकेट में पहले दो तिहरे शतक लगाने का रिकॉर्ड ग्रेस के नाम ही है। वहीं फर्स्ट क्लास मैच में 50 हजार रन पूरे करने वाले पहले क्रिकेटर भी ग्रेस ही हैं। इंग्लैड में पहला शतक बनाने के रिकॉर्ड के अलावा डेब्यू में शतक बनाने वाले वह पहले अंग्रेज क्रिकेटर बने।