बता दें कि 15 जून को गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ संघर्ष में 20 भारतीय जवानों के मारे जाने के बाद से चीनी उत्पादों के बहिष्कार की मांग तेज हो गई थी। लोग आईपीएल से भी चीनी प्रायोजकों को बाहर करने की मांग कर रहे थे।।
अगले साल फिर बन सकता है टाइटल प्रायोजक
बीसीसीआई के एक सूत्र ने कहा कि वीवो अभी तक सिर्फ इस साल आईपीएल के प्रायोजन से बाहर हुआ है और उसने बोर्ड के साथ अपना प्रायोजन संबंधी समझौता भी नहीं समाप्त किया है, ऐसे में वह अगले साल फिर आईपीएल का टाइटल प्रायोजक (Title Sponsor) हो सकता है। बता दें कि वीवो का बोर्ड के तीन साल का करार बचा है। ऐसे में वह अब 2020 से 2022 तक आईपीएल का मुख्य प्रायोजक होने के बजाय 2021 से 2023 तक आईपीएल का टाइटल प्रायोजक हो सकता है।
सूत्र के अनुसार, बीसीसीआई अगले तीन दिनों के भीतर इस साल आईपीएल के टाइटल स्पांसरशिप के लिए नए सिरे से टेडर जारी करेगी और उसके बाद वह सिर्फ एक साल के लिए टाइटल स्पॉन्सर तय करेगी।
स्वदेशी जागरण मंच ने किया था विरोध
बता दें कि आरएसएस (RSS) से जुड़े संगठन स्वदेशी जागरण मंच (SJM) ने भारत और चीन के बीच संबंधों में तनातनी आने के बावजूद आईपीएल में चीनी प्रायोजकों की भरमार होने पर आपत्ति जताई थी और इसके बहिष्कार की मांग की थी। स्वदेशी जागरण मंच के अश्विनी महाजन ने कहा था कि जब देश अर्थव्यवस्था को चीनी प्रभुत्व से मुक्त बनाने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहा है। सरकार चीन को हमारे बाजार से दूर रखने का प्रयास कर रही है। ऐसे में आईपीएल के आयोजन में चीनी प्रायोजकों के साथ जाने का बीसीसीआई का फैसला देश की जनभावना के खिलाफ है।
अश्विनी महाजन ने कहा था कि बीसीसीआई भारतीय शहीद जवानों का अनादर कर रही है। इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि बोर्ड को आईपीएल में चीनी कंपनियों को प्रायोजकों में बनाए रखने के फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश की सुरक्षा और गरिमा से बढ़कर कुछ भी नहीं है।
बता दें कि बीसीसीआई के अध्यक्ष जहां सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) हैं, वहीं सचिव गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) के पुत्र जय शाह (Jay Shah) हैं।